Vaastu Vigyan Volume I | Page 8

3 - उत्तर- पश्चिम दिशा में भोजन कक्ष, सेवक कक्ष, अतिथि कक्ष, विवाह योग्य कन्या का कक्ष, घर के विवाहित बच्चो का कक्ष या फिर गोशाला, वाहन रखने का स्थान बना सकते है।

4 - पश्चिम दिशा में शौचालय, स्टोर, ओवर हेड टेंक, भोजन कक्ष बनाएं जाने चाहिए।

5 - दक्षिण- पूर्व (आग्नेय) दिशा में पूर्व मुख रसोई का स्थान निश्चित है उसके आलावा समस्त विद्युत उपकरण यहाँ लगाये

6- दक्षिण दिशा में शौचालय, स्टोर,के आलावा घर का सभी भरी सामान रखा जाना चाइये |

7- दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा में परिवार के मुखिया अर्थात परिवार के वरिष्ट7 व्यक्ति का कक्ष सबसे उत्तम वास्तु माना गया हैं। सीढिय़ों का निर्माण भी इसी दिशा में घडी की सुई की दिशा में होना चाहिए जिससे वह उत्तर या पूर्व में समाप्त हो। इस दिशा अधिक से अधिक भरी रखने का प्रयास करे, जादा खुला न रखे, स्टोर भी यहाँ बनाया जा सकता है। किसी भी प्रकार का गड्ढा, अथवा जल स्थान नलकूप, बोरिंग प्रयोजन यहाँ न करे | यहाँ शौचालय बना सकते है |