Vaastu Vigyan Volume I | Page 5

वास्तुशास्त्र के सिद्धांत भवनो में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के उत्तम स्वास्थ्य एवं खुशहाली के लिए भी अनुकूल ऊर्जा उत्पन्न करते हैं |

वास्तु शास्त्र का मानव जीवन में महत्त्व

वास्तुशास्त्र जीवन के संतुलन का प्रतिपादन करता है। यह संतुलन बिगड़ते ही मानव एकाकी और समग्र रूप से कई प्रकार की कठिनाइयों और समस्याओं का शिकार हो जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पंचमहाभूतों- पृथ्वी ,जल , वायु , अग्नि और आकाश के विधिवत उपयोग से बने आवास में पंचतत्व से निर्मित प्राणी की क्षमताओं को विकसित करने की शक्ति स्वत: स्फूर्त हो जाती है।

हमारे ग्रंथों के अनुसार—-

“शास्तेन सर्वस्य लोकस्य परमं सुखम्

चतुवर्ग फलाप्राप्ति सलोकश्च भवेध्युवम्

शिल्पशास्त्र परिज्ञान मृत्योअपि सुजेतांव्रजेत्

परमानन्द जनक देवानामिद मीरितम्

शिल्पं बिना नहि देवानामिद मीरितम्

शिल्पं बिना नहि जगतेषु लोकेषु विद्यते।

जगत् बिना न शिल्पा च वतंते वासवप्रभोः॥”