Vaastu Vigyan Volume I | Page 16

——-भवन के बीचों-बीच का हिस्सा ब्रह्म स्थान कहा जाता है। इसे खाली रखा जाना चाहिए। जैसे फर्नीचर या कोई भारी सामान यहाँ पर सेहत व मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं। ब्रह्मस्थान वाले क्षेत्र में छत में भारी झाड़ फानूस भी नहीं लटकाएँ जाएँ। इस हिस्से में पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था का निषेध है, यह आर्थिक नुकसान का संकेतक है।

—–श्मशान की भूमि पर मकान बनाकर रहना सभी अशुभ मानते हैं। वास्तव में यह सारी पृथ्वी ही श्मशान है। जब कर्ण ने भगवान कृष्ण से निवेदन किया कि मेरा दाह ऐसे स्थान पर करना जहां किसी का आज तक दाह कर्म नहीं किया गया हो तब भगवान को पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं मिला|

—–अगर दाम्पत्य जीवन के तालमेल में कमी के संकेत मिलते हों तो रसोई तथा शयन कक्ष की वास्तु योजना पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए। रसोई की दीवारों का पेंट आदि का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है।