पु स्तकालय है मे रा नाम,
जान बाां टना मे रा काम,
जो भी तुम पड़ना चाहो,
मे रे पास आ जा ओ,
दिव्य दृदि तुम पओगे ,
सफल सिा कहला ओगे ,
ग्रन्य, काव्य व पररकभाएां ,
महापु रुषोां की अमरगाथायाएँ ,
असु रलोक या जीव- जगत हो,
इश्वर हो या उनके भक्त हो,
गदित, मराठी, व इदतहास,
दवदवध पुस्तके मेरे पास,
दवद्या, ज्ञान या हो कांप्यूटर,
में सब दवशयोां का हँ ट्यूटर,
जानू सब के मन की बात,
बच्ोां ना होना उिास,
ध्यान लगा कर तुम सब पड़ना,
सिा ही आगे - आगे बढ़ना.