Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
ISSN: 2454-2725
अमधक है। परफोममिंग आट्ास में यह बात ५० % सच
है तो सबसे कम औसत अथाात के वल ११.११ %
मवज्ञान शाखा का है। यह भी अन म ु ान था मक कला
संकाय के लोग पररकल्पनाएँ मलख नहीं पाते। न
जाननेवालों में इसी शाखा के लोगों का औसत
अमधक होगा। पर शोध काया के अ त ं में यह पता चला
मक ८५.७२ % लोग इस प्रमवमध से पररमचत हैं। साथ
ही यह कहना आवश्यक है मक शोधकाया के उद्देश्य स
ये शोधकताा भली-भाँती पररमचत हैं तथा मनष्ट्कर्षा भी
स्पसे रूप से मलख रहे हैं। अन स ु ंधान कताा को शोध क
नए – नए मवर्षयों की ओर बढना चामहए। खासकर इन
सभी शोध प्रबंधों में एक भी प्रबंध अ त ं र अनुशासनीय
नहीं है। वतामान समय में अ त ं र अनुशासनीय
शोधकायों की ओर बढना अन स ु ध ं ान कताा का
दामयत्व है। शोधमनदेशक को इस प्रकार के शोध कायों
की पहल करनी चामहए।
िन्द्दभक ग्रंथ िूची
१. शोध प्रमवमध – डॉ. मवनयमोहन शमाा,
नेशनल पमब्लमश ग ं हाउस , नयी मदल्ली
११०००२, संस्करि १९८० - पृ. ३५.
२. नवीन शोध मवज्ञानं – डॉ. मतलक मस ह ं ,
प्रकाशन संस्थान, वसू -२२ नवीन शहादरा,
मदल्ली – ११००३२, प्रथम संस्करि
१९८२ - पृ. स ख् ं या १५५
३. प्रश्नावली
४. प्रश्नावली
५. प्रश्नावली
शोध कता
डॉ. रमा प्रकाश नवल
डॉ. प्रेरिा पाण्डेय
डॉ. म ज ं ु प र ु ी
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017