Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 77

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
आबादी स्त्री की नई छमव प्रस्तुत कर लेखक मकस तरह ममहला सशमक्तकरि की प्रमक्रया को मजबूत बना रहा है ; इसकी ओर संके त मकया । तो कु छेक शोधामथायों ने समाज में उपेमक्षत तबका दमलत की व्यथा कथा के माध्यमसे लेखक मकस तरह इनकी मस्थमत में बदलाव चाहता है इसकी ओर संके त मकया है । योगा के क्षेत्र में शोध काया कर गीता एवं भागवतपुराि के आचरिीय तत्वों की खोज कर मूल्य मशक्षा की राष्ट्रीय नीमत में सहायता की है । कलाएँ संस्कृ मत की संरक्षक होती हैं । संस्कृ मत को बचाना है तो कला को बचाना जरुरी है यह मनष्ट्कर्षा देते हुए एक प्रमतभागी ने कलाकार ( वादक ) के प्रमत सम्मान की भावना मवकमसत करने की ्टमसे से प्रयास मकया है । महामवद्यालय के छात्रों पर संगीत के प्रभाव का अध्ययन कर एक प्रमतभागी ने संगीत के प्रभाव के करि छात्रों में आये पररवतानों को रेखांमकत मकया है ।
उपयु ाक्त मवमवध संकायों के मवमवध मवर्षयों के शोध काया का अवलोकन करने के बाद मनष्ट्कर्षात : यह कहा जा सकता है मक इन शोधकायों के उद्देश्य मनमित ही राष्ट्रीय नीमत में सहायक हो सकते हैं । तुलनात्मक शोध काया भी हो रहे हैं ; पर इस काया में अमधक स्पसेता आना आवश्यक है । तुलनात्मक शोध काया की मनमित मदशा अभी स्पसे होना आवश्यक है । तुलनात्मक शोध काया राष्ट्रीय सांस्कृ मतक एकता को बढ़ावा देनेवाले होते हैं । वतामान समय अंतर अनुशासनीय ज्ञान शाखाओं का समय है । इन २३ शोधकायों में इसका अभाव मदखाई मदया है । सामहत्य पर अनुसंधान हो रहे हैं परंतु भार्षाओं का अध्ययन
नहीं हो पा रहा । भार्षावैज्ञामनक शोधकायों की कमी भी खलती है । इस पररयोजना के शोधकतााओं का संबध सामहत्य से होने के कारि अन्य संकायों में मकस तरह के शोध काया होना अपेमक्षत है यह बताने में शोधकत ा असमथा हैं । यह इस शोधकाया की सीमा भी है । इस पररयोजना का लक्ष्य बहुत सीममत है । शोधकतााओं ने अपने शोधकाया में पररकल्पनाएँ मलखी है या नहीं और उद्देश्य एवं मनष्ट्कर्षा स्पसे रूप से मदए गए हैं या नहीं ; के वल इसी का अध्ययन करना है ।
सनष्ट्कषक :
यह पररयोजना यू . जी . सी . – एच . आर . डी . सी मशमला द्वारा आयोमजत १२४ वे उन्मुखी कायाक्रम में समम्ममलत प्रमतभामगयों के शोधकाया में पररकल्पनाएँ , उद्देश्य , मनष्ट्कर्षा स्पसे रूप में मदए जा रहे हैं क्या यह देखने से संबमधत है । अनुसंधान प्रमवमध से संबंमधत तथा अंतर अनुशासनीय यह शोध बहुत कम समय में पूरा मकया गया है । शोध मवर्षय बहुत सीममत है । मजस समूह का अध्ययन करना है वह के वल ३१ लोगों का समूह है । परंतु इस छोटे से समूह की सबसे अमधक सशक्त बात यह है मक यह समूह करीब – करीब भारत के व्यापक महस्से का प्रमतमनमधत्व करता है । ११ राज्यों से जुड़े प्रमतभागी , ९ राज्यों में कायारत हैं और १६ मवर्षयों से संबंमधत हैं ; यह इस छोटे से समूह की मवशेर्षता है । यह एक दुलाभ योग है ।
शोधकाया के प्रारंभ में यह अनुमान लगाया गया था मक शोधकत ा पररकल्पना के स्वरूप को नहीं समझता और न वह अपने शोध प्रबंध में स्पसे रूप से पररकल्पनाएँ दे पाता है । प्रश्नावली के आधारपर यह कहा जा सकता है मक यह बात १९ . ०४ प्रसतित िच है । यह औसत भी कम नहीं है । अत : यह औसत कम करने की ्टमसे से प्रयास करने होंगे । मवमभन्न ज्ञान शाखाओं में इसका औसत कम
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017