Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
टपके लह
आसमानी गोद स
हैरान आँखे ।।
ISSN: 2454-2725
रक्षा बन्धन
हो स्नेह का च द ं न
म ग ं लकारी
आनन्द्द बाला िमा मैं और त म ु
नदी के दो मकनार
नतीजा श न् ू य
पता न चला
कर मलया मकनारा
बातों बातों म कृ ष्ट्ि कन्हैया
बजाओ रिभेरी
करो न देरी
बादल छाए
कहाँ ग म ु हो गए
चाँद मसतार भीगा भीगा सा
भीतर का मौसम
बाहर श ष्ट् ु क
फटे बादल
बाररश घनघोर
हाल बेहाल मत लजाओ
लज्जा की बात पर
आय ध ु बनो
दोस्त हजार
आभासी द म ु नया म
मबकाऊ प्यार आग ही आग
छोटी सी मचंगारी स
जीवन खाक
पराया धन
पराया होकर भी
रहा पराया सबसे न्यारी
जन जन को प्यारी
महन्दी हमारी
मजयो आजाद
आजाद भारत म
मरो आजाद मेरे जख्मों को
भर मदया त म ु न
अनजाने म
मपसे मजतना
मेह द ं ी का रंग ह
चढ़े उतना
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017