Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 67

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका िासहसययक सिमिक: हाईकु ISSN: 2454-2725 सिडम्बना- हाइकु- डॉ अचक ना सि ह ं चाह म झ ु स बेसियाँ- प ि ू ा समपाि की ? प्रसव पीड़ा स्वयं स्वाथी । नहीं, ये तड़प तो बेटी होने की । तारे मगनत देखती रही राह, बेटी होने की, त म ु न आये । स न ु खबर म र ु झाया है , म ख । बाट जोहती स र ू ज उगने की पाँव पसार बदली छाई । अब सोयेगा मपता बेटी ब्याह दी । कराहती मा दे रही आवाज लाडली बेटी बेटा है ध त ु । बढ़ी द र ू ी इतनी बनी बहू जो । स ख ी धरती हो उठे गी व्याकुल पाँव प ज ू त पानी न डालो । बेटी हुयी पराई वाह री रीत Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. डॉ अचकना सिंह गोमती नगर एक्ििेंिन लखनऊ, वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017