Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
ISSN: 2454-2725
ढाई आखर पढ़ने में हम सफल हुए
काला अक्षर भैंस बराबर हो, तो हो
मैंने तो बस फूल मदया उसको हरदम
हाथ में उसके कोई खंजर हो ,तो हो
थक जाती हूँ द ख
का मौसम साथ मलए
मदल में पतझड़, सावन बाहर हो,तो हो
बोल के सच ईमान बचाया है मैंन
शोर-शराबा अ द ं र -बाहर हो, तो हो
मेरे घर में पीड़ा भी पटरानी ह
तेरे घर में स ख
भी नौकर हो,तो हो
एक इमारत झ न ु गी पर इठलायेगी
कोई बंदा घर से बेघर हो ,तो हो
भािना,मुजफ्र्रपुर ,सबहार
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017