Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 49

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
मैं एक मदन गुस्से से घर से नही मनकला । मैं खुश था मक आज उससे मुलाकात नही होगी । तभी मखड़की से झांकती रौशनी का एक टुकड़ा मेरे शरीर से आ लगा । पलट कर देखा तो परछाई , मदवार पर एक आकृ मत मलये हुये । अचानक मैं उसके करीब जाने लगा , और करीब , मजतना करीब गया वो गायब होने लगी । मेरे अंदर एक अजीब से टीस उठी , उसके खो जाने का । मैं समझ नही पा रहा था , मजससे मैं इतने मदनों से भागता रहा , उसके दूर जाने पर मुझे खुश होना चामहये , पर ऐसा नही था । मेरे चेहरे पर दुःख की रेखाये उभर आई , एक गहन उदासी मघरने लगा था । मुझे लगने लगा , मैंने मकसी को खो मदया । " क्या मैं उससे प्यार करने लगा हूँ ?" जैसे ख्याल अपनी जगह बनाने लगे थे । मैं गुिा भाग नही करना चाहता था , मुझे महसूस हुआ , उसका मजद्दीपन मुझे अच्छा लगने लगा है , और मेरा भागना , खुद से भागना है । मैं फु ट फु ट कर रोने लगा ... मबल्कु ल एक बच्चे की तरह ... मैं अक्सर बच्चे की तरह रोना चाहता हूँ .. मैं अपने अंदर मकसी बोझ को स्थान नही देना चाहता । मैं मबलकु ल खाली हो जाना चाहता था , उस रोज ...
गौरि गुप्ता ( जी के गौरि ) मानिरोिर हॉस्िल कमरा िंख्या- 203 नाथक कैं पि ( सदल्ली सिसश्वद्यालय ) 110007 8826763532 Gaurow . du @ gmail . com
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017