Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 426

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका १५) मनमखल कौमशक मिटेन मे बसे भारतीय म ल के मह द ं ी लेखक है। वेल्स मनवासी मनमखल कौमशक पेशे स डॉक्टर हैं लेमकन उनका व्यमक्तत्व कमवतामय ही है। उनके अब तक दो कमवता संग्रह प्रकामशत हो च क े हैं। उनकी कमवताओ ं में नॉस्टेलमजया मौज द ू है तो इस देश की समस्याओ ं की प र ू ी पकड़ भी। उनकी कमवताओ ं में व्यंनय की एक पैनी धार महस स ू की जा सकती है। मनमखल कमव सम्मेलनों में अपनी कमवताओ ं को अपनी स र ु ीली आवाज़ में गाकर भी स न ु ाते हैं। मनमखल मसनेमा को भी सामहत्य की एक धारा ही मानते हैं। हाल ही में उन्होंने एक चलमचत्र का मनमााि भी मकया है मजसके वे मनमााता, मनदेशक, लेखक, गीतकार सभी कुछ हैं। १६) प्रमतभा डावर मिटेन में बसी भारतीय म ल की मह द ं ी लेखक है। ल द ं न में प्रमतभा डावर ने दो उपन्यासों की रचना की है : `वह मेरा चा द ं ' एवं `दो चम्मच चीनी के '। ISSN: 2454-2725 मलखी थी। भारत के सामहत्य से पमत्रकाओ ं के जररए ररश्ता बनाए रखने वाले प्राि शमाा अपने ममत्र एव सहयोगी श्री राममकशन के साथ कॉवेन्टरी में कमव सम्मेलन एवं म श ायरा भी आयोमजत करते हैं। उन्ह कमवता, कहानी और उपन्यास की गहरी समझ है। १७) कै लाश ब ध ु वार मिटेन मे बसे भारतीय म ल के मह द ं ी लेखक है। अब तक के एकमात्र भारतीय हैं जो बी.बी.सी. रे मडयों में महन्दी एवं तममल मवभागों क अध्यक्ष रह च क े हैं। एक लम्बे असे तक बी.बी.सी. रे मडयो में काम करने के पश्र्चात आजकल समक्रय अवकाश प्राप्त जीवन जी रहे हैं। लंदन का शायद ही कोई ऐसा कायाक्रम होगा मजसमें मशरकत या अध्यक्षता कै लाशजी न कर च क े हों। महन्दी के यह कमाठ मसपाही कमवता भी मलखते हैं और म च ं पर कमव सम्मेलनों का स च ालन भी करते हैं। म च ं से उनका ररश्ता पृथ्वी मथयेटर के मदनों से है। पापाजी पृथ्वीराज कप र ू का असर उनके रे मडयो प्रसारि एवं नाटक दोनों ही क्षेत्रों में महस स ू मकया जा सकता है। १७) प्राि शमाा मिटेन में बसे भारतीय म ल के मह द ं ी लेखक है। कॉवेन्टरी के प्राि शमाा मिटेन में महन्दी ग़ज़ल क उस्ताद शायर हैं। प्रािजी बहुत मशद्दत के साथ मिटेन के ग़ज़ल मलखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्ह द रु ु स्त करने में सहायता करते हैं। महन्दी ग़ज़ल पर उनका एक लंबा लेख चार -पांच मकश्तों में ‘प र ु वाई’ में प्रकामशत हो च क ा है। कुछ लोगों का कहना है मक मिटेन में पहली महन्दी कहानी शायद प्राि शमाा ने ही Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. १८) भारतेन्दु मवमल मिटेन मे बसे भारतीय म ल के मह द ं ी लेखक है। उपन्यास `सोन मछली' के लेखक भारतेन्द मवमल बी.बी.सी. रे मडयो से ज ड़ ु े हैं। कमलेश्वरजी न इस उपन्यास को गटर ग ग ं ा की संज्ञा देते हुए इस उपन्यास की भ म ू मका में इसकी भ र ू र-भ र ू र प्रश स ं ा की है। भारतेन्दु मवमल ग़ज़ल एवं कमवता भी मलखते हैं। वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017