Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
कायाक्षेत्र- सामहत्य उन्हें मवरासत में भी ममला और
मफर जीवन साथी के साथ भी सामहत्य, संप्रेर्षि ज ड़ ु े
रहे। उनके मपता ज़मींदार थे और माँ , स म ु मत्रा कुमारी
मसन्हा जानी-मानी कवमयत्री, लेमखका और गीतकार
थीं। तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60
के दशक में प्रयाग नारायि मत्रपाठी, के दारनाथ मसंह ,
क ँ ु वर नारायि, मवजयदेव नारायि साही, सवेश्वर
दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैस
सामहत्यकारों के साथ कीमता चौधरी को भी तीसरा
सप्तक का महस्सा बनाया।
मनधन- १३ ज न ू २००८ को लंदन में उनका देहांत हो
गया।
६)
गोमवन्द शमाा ल द ं न मे बसे भारतीय म ल
के मह द ं ी
लेखक है। श्री गोमवन्द शमाा को हाल ही में ल द ं न क
हाउस ऑफ़ लाडास में उनकी मफ़ल्मी पटकथा पर
मलखी गई प स् ु तक के मलये पद्मान द ं सामहत्य सम्मान
2006 से सम्मामनत मकया गया। गोमवन्द शमाा ने महन्दी
मफ़ल्मों पर मलखे अपने लेखों को सामहत्यक स्तर
प्रदान करने का भरप र ू एवं सफल प्रयास मकया है।
उनका मानना है मक बॉलीव ड ु का पटकथा लेखन
हॉलीव ड ु से एकदम मभन्न है।
७)
ज़मकया ज़ ब ु ैरी (१ अप्रैल १९४२) मिटेन की प्रवासी
महन्दी लेमखका और राजनमयक हैं। उन्होंने भारत एव
पामकस्तान की अनेक सामहमत्यक एवं सांस्कृ मतक
संस्थाओ ं के मवकास का काम मकया है। उनका जन्म
लखनऊ में हुआ और बचपन आज़मगढ़ में बीता।
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
ISSN: 2454-2725
प्रारंमभक मशक्षा आज़मगढ़ की सरकारी कन्या
पाठशाला में हुई। सातवीं कक्षा के बाद इलाहाबाद क
सरकारी स्कूल में पढ़ाई हुई। इ ट ं रमीमडयेट में अपन
महामवद्यालय की य म ू नयन की अध्यक्ष बनीं और
बनारस मह द ं ू मवश्वमवद्यालय से स्नातक की मडग्री प्राप्त
की। उन्हें बचपन से ही मचत्रकला एवं कमवता व
कहानी मलखने का शौक रहा है। वे लंदन में एमशयन
कम्य म ू नटी आट्ास नाम की संस्था की अध्यक्षा ह
मजसके द्वारा वे नृत्य, संगीत, गीत एवं लेखन क्षेत्र म
बहुत से नये नताकों, गायकों, एवं लेखकों को लंदन म
म च ं प्रदान कर च क
ी हैं। वे भारत एवं पामकस्तान स
लंदन आने वाली सामहमत्यक एवं सांस्कृ मतक हमस्तयों
के सम्मान में समारोह आयोमजत और कथा य ॰ ू के ॰
के साथ ममल कर अनेक कायाक्रमों का आयोजन भी
करती हैं।
वे मिटेन की लेबर पाटी के समक्रय सदस्या हैं। लेबर
पाटी के मटकट पर आप दो बार च न ु ाव जीत कर
काउंसलर मनवाामचत हो च क
ी हैं। वतामान में वे ल द ं न
के बारनेट स स ं दीय क्षेत्र के कॉमल ड ं ेल वाडा की पहली
और एकमात्र म म ु स्लम ममहला काउंसलर हैं।
८)
डॉ॰ कृ ष्ट्ि कुमार बममिंघम मे बसे भारतीय म ल
के मह द ं ी
लेखक है। में डॉ॰ कृ ष्ट्ि कुमार एक लम्बे असे स
भारतीय भार्षाओ ं की ज्योमत `गीता ज ं मल बहुभार्षी
समाज' के माध्यम से जगाये हुए हैं। गीता ज ं मल मिटेन
की एकमात्र ऐसी संस्था है जो भारत की तमाम
भार्षाओ ं को साथ लेकर चलने का प्रयास करती है।
डॉ॰ कुमार 1999 के मवश्व महन्दी सम्मेलन, लंदन क
अध्यक्ष भी थे। डॉ॰ कुमार की कमवताएं गहराई और
अथा का संगीतमय ममश्रि होती हैं। मवचार उनकी
कमवताओ ं पर हावी रहता है। उन्हें एक अथा में यमद
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017