Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
ISSN: 2454-2725
शतरंज खेल रहे होते है। मकंतु इस बार वे मितानी शैली
का शतरंज खेलते हैं। ” 82 सत्यजीत राय, प्रेमचंद की
कहानी ‘शतरंज के मखलाड़ी’ की नई व्याख्याए
पाठक व दशाक के सामने प्रस्त त ु करते हैं जो मक
प्रेमच द ं की कहानी से अमधक प्रौढ़ जान पड़ती है।
अतः अन व ु ाद-प्रमक्रया एक राजनीमतक व
वैचाररक प्रमक्रया है मजसका उद्देश्य ज्ञान को सबक
मलए स ल
भ बनाना है। उसका जनता म ं त्रकरि करना है।
वह सृजनात्मक प्रमक्रया है, मजसकी अपनी स्वतंत्र
सत्ता है। अन व ु ाद मसद्धांत व् प्रमक्रया पर मवचार करत
हुए इस महत्वप ि ू ा प्रश्नों पर मवचार व् बहस आवश्यक
है, जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं।
82
थचदानंद दास गुप्ता, ‘सत्यत्जत राय का ससनेमा’,
नेशनल ब क
ट्रस्ट, इंडडया, नई ददल्ली, संस्करण-1997,
प . ृ सं.-79
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017