Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 412

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725 शतरंज खेल रहे होते है। मकंतु इस बार वे मितानी शैली का शतरंज खेलते हैं। ” 82 सत्यजीत राय, प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के मखलाड़ी’ की नई व्याख्याए पाठक व दशाक के सामने प्रस्त त ु करते हैं जो मक प्रेमच द ं की कहानी से अमधक प्रौढ़ जान पड़ती है। अतः अन व ु ाद-प्रमक्रया एक राजनीमतक व वैचाररक प्रमक्रया है मजसका उद्देश्य ज्ञान को सबक मलए स ल भ बनाना है। उसका जनता म ं त्रकरि करना है। वह सृजनात्मक प्रमक्रया है, मजसकी अपनी स्वतंत्र सत्ता है। अन व ु ाद मसद्धांत व् प्रमक्रया पर मवचार करत हुए इस महत्वप ि ू ा प्रश्नों पर मवचार व् बहस आवश्यक है, जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। 82 थचदानंद दास गुप्ता, ‘सत्यत्जत राय का ससनेमा’, नेशनल ब क ट्रस्ट, इंडडया, नई ददल्ली, संस्करण-1997, प . ृ सं.-79 Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017