Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
“काल के अन त ं प्रवाह में कभी-कभी ऐसा अद्भुत
क्षि आता है जब काल स्वयं मन ष्ट् ु य को अपना
इमतहास बनाने तथा अपनी मनयमत का मनयंता बनन
का अवसर प्रदान करता है।” - डॉ. करुणाि क
र
उपाध्याय
म ब ं ु ई मवश्वमवद्यालय के मह द ं ी मवभाग में मह द ं ी
प्राध्यापक के रूप में कायारत प्रमसद्ध सामहत्यकार,
आलोचक एवं मागादशाक ग रु ु वर डॉ. करुिाश क
र
उपाध्याय जी के जीवन, व्यमक्तत्व तथा सामहमत्यक
जगत से संबंमधत हाल ही में डॉ. प्रमोद पाण्डेय द्वारा
की गई बातचीत के कुछ अ श
:-
१- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आपका जन्म कब और कहा
हुआ ?
डॉ. करुणािंकर उपाध्याय: मेरा जन्म उत्तर प्रदेश
के प्रतापगढ़ मजले में 'घोरका ताल क
ादारी' नामक गाँव
में 15 अप्रैल सन् 1968 को हुआ था। मेरा गाँव सई
नदी के तट पर मस्थत है। प्राकृ मतक ्टमसे से बहुत ही
रमिीय जगह है।
२- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आप अपनी आरंमभक व
उच्च मशक्षा के बारे में बताइए ।
डॉ. करुणािंकर उपाध्याय: जहाँ तक आरंमभक
मशक्षा का सवाल है तो मैंने आठवीं तक अपने गाँव
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
ISSN: 2454-2725
में ही मशक्षा प्राप्त की। उसके बाद बारहवीं तक की
मशक्षा काल र ू ाम इ ट ं र कॉलेज , शीतलाग ज ं , उत्तर प्रदेश
में संपन्न हुई। ज न ू 1986 में 12वीं की परीक्षा उत्तीि
करने के उपरा त ं मैं म ंब ु ई आ गया और मैंने अ ध ं ेरी
मस्थत एम. वी. ए ड ं एल.य . ू कॉलेज में बी.ए. की कक्षा
में प्रवेश मलया। सन् 1989 में प्रथम श्रेिी से मैंने बी.ए.
की परीक्षा उत्तीिा की। उसके बाद म ब ं ु ई मवश्वमवद्यालय
के तत्कालीन मह द ं ी मवभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत
बांमदवडेकर जी के मनदेश पर मैंने मह द ं ी मवर्षय म
एम.ए. मकया। सन् 1991 में एम.ए. प्रथम श्रेिी स
उत्तीिा हुआ। उसके बाद मैंने पीएच.डी. उपामध हेत
शोध काया आरम्भ मकया।
३- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आपके बचपन की कोई ऐसी
घटना जो आपके जीवन में प्रेरिादायी बन गई हो?
डॉ. करुणािंकर उपाध्याय:जहाँ तक बचपन का
सवाल है , तो एक बार मैं सई नदी पार कर रहा था,
उसी सम