Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 398

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका “काल के अन त ं प्रवाह में कभी-कभी ऐसा अद्भुत क्षि आता है जब काल स्वयं मन ष्ट् ु य को अपना इमतहास बनाने तथा अपनी मनयमत का मनयंता बनन का अवसर प्रदान करता है।” - डॉ. करुणाि क र उपाध्याय म ब ं ु ई मवश्वमवद्यालय के मह द ं ी मवभाग में मह द ं ी प्राध्यापक के रूप में कायारत प्रमसद्ध सामहत्यकार, आलोचक एवं मागादशाक ग रु ु वर डॉ. करुिाश क र उपाध्याय जी के जीवन, व्यमक्तत्व तथा सामहमत्यक जगत से संबंमधत हाल ही में डॉ. प्रमोद पाण्डेय द्वारा की गई बातचीत के कुछ अ श :- १- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आपका जन्म कब और कहा हुआ ? डॉ. करुणािंकर उपाध्याय: मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ मजले में 'घोरका ताल क ादारी' नामक गाँव में 15 अप्रैल सन् 1968 को हुआ था। मेरा गाँव सई नदी के तट पर मस्थत है। प्राकृ मतक ्टमसे से बहुत ही रमिीय जगह है। २- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आप अपनी आरंमभक व उच्च मशक्षा के बारे में बताइए । डॉ. करुणािंकर उपाध्याय: जहाँ तक आरंमभक मशक्षा का सवाल है तो मैंने आठवीं तक अपने गाँव Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. ISSN: 2454-2725 में ही मशक्षा प्राप्त की। उसके बाद बारहवीं तक की मशक्षा काल र ू ाम इ ट ं र कॉलेज , शीतलाग ज ं , उत्तर प्रदेश में संपन्न हुई। ज न ू 1986 में 12वीं की परीक्षा उत्तीि करने के उपरा त ं मैं म ंब ु ई आ गया और मैंने अ ध ं ेरी मस्थत एम. वी. ए ड ं एल.य . ू कॉलेज में बी.ए. की कक्षा में प्रवेश मलया। सन् 1989 में प्रथम श्रेिी से मैंने बी.ए. की परीक्षा उत्तीिा की। उसके बाद म ब ं ु ई मवश्वमवद्यालय के तत्कालीन मह द ं ी मवभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत बांमदवडेकर जी के मनदेश पर मैंने मह द ं ी मवर्षय म एम.ए. मकया। सन् 1991 में एम.ए. प्रथम श्रेिी स उत्तीिा हुआ। उसके बाद मैंने पीएच.डी. उपामध हेत शोध काया आरम्भ मकया। ३- डॉ. प्रमोद पाण्डेय : आपके बचपन की कोई ऐसी घटना जो आपके जीवन में प्रेरिादायी बन गई हो? डॉ. करुणािंकर उपाध्याय:जहाँ तक बचपन का सवाल है , तो एक बार मैं सई नदी पार कर रहा था, उसी सम