Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 385

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
में माक्सावादी मवचारधारा और आलोचक रूप के साथ सजग कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में सामने आते हैं । रहबर का मानना है मक भारत में अभी तक माक्सावाद आया ही नहीं है , जो है , सब खोखला है तथा वे भारत की आजादी को आजादी नहीं , अमपतु सत्ता स्थानान्तरि मात्र मानते हैं ।
िंदभक
1 . मबना रीढ़ का आदमी , हंसराज रहबर , प्रभात प्रकाशन , मद . 1977 , पृ . 109 2 . मेरे सात जन्म भाग-3 , हंसराज रहबर , वािी प्रकाशन , 1980 , पृ . 7 3 . नया सामहत्य : मदसंबर , 1963 , पृ . -3, मेरा प्रेरिास्रोत-हंसराज रहबर 4 . मेरे सात जन्म भाग-3 , हंसराज रहबर वािी प्रकाशन , मदल्ली-1988 , पृ . 17 . 5 . माओत्से तु ंग , लेखक- हंसराज रहबर आलेख प्र . मद . 1982 , पृ . 51 6 . मेरे सात जन्म भाग-4 , वािी प्रकाशन , मद . 1989 , पृ . 130 7 . मतलक से आज तक मनमध प्रकाशन मदन . 1980 पृष्ठ 141 8 . रहबर एक चुनौती , श्री मवश्रांत वमशसे , पृ . - 182-183 . 9 . गांधी बेनकाब , हंसराज रहबर , मदशा प्रकाशन , मदल्ली-1971 , पृ . 270-71 10 . रहबर एक चुनौती , श्री मवश्रांत वमशसे , पृ . - 182-183 . 11 . प्रगमतवाद : पुनमू ाल्यांकन , नवयुग-प्रकाशन , मदल्ली-1966 , पृ . 227 12 . मकस्सा तोता पढ़ाने का , लेखक हंसराज रहबर , राजपाल एण्ड सन्स , प्रकाशन-1971 , पृ . 137 13 . उपहास , कहानी संग्रह , ( प्रमतध्वमन ) इंमडयन पमब्लशर , इलाहाबाद , प्र . 1947 , पृ . 5 14 . रहबर एक चुनौती , मवश्रांत वमशसे , पृ . 50
15 . उपहास , मजन्दगी की उमंग , इंमडयन पमब्लशर , इलाहाबाद , प्रकाशन 1947 , पृ . 33 16 . उपहास जननी कहानी से , इंमडयन पमब्लशर हाऊस , इलाहाबाद प्रकाशन 1947 , पृ . 4 17 . एहसास काव्य संग्रह , हंसराज रहबर , पृ . 15
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017