Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 378

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका ‘‘ओई सआह कहं ओसह कहं गहा। गहा गहसन जि जाइ न कहा। दुऔ निल भर जोबन गाजी। अछरी जानु अखार बाजीं। भा िॉहसन िॉहसन िौं जोरा। सहया सहया िो बाग न मोरा। कुंच िौं कुच जौं िौंहे आने। निसह न जाए िूिसह ताने। कुंभ स्थल जेउ गज मैंमता। दूनौ अल्हर सभरै च द त ं ा। देि लोक देखत मुए िाढ़े। लागे बन सहयं जासहं न काढ़े।।’’ 27 राजा रयनिेन द्वारा ‘िेि करहु समसल दुनहु औ मानहु िुख भोग’’ 28 दोनों में समझौता होता है। अ त ं में जब राजा रत्नसेन वीरगमत को प्राप्त होता है तब दोनों रामनयाँ मचत्ताड़ की राजप त ू ाना परम्परा की मयाादा के साथ अपने अलौमकक प्रेम का पररचय देती हुई सती होती हैं - ‘‘नागमती पदुमापसत रानीं। दुिौ महारत िाती बखानी। दुिौ आइ चसढ़ खाि बईिी। औ सििलोक परा सतन्द्ह डीिी।।  * * आजु िूर सदन अथिा आजु रैसन िसि ब स ू ड़। आजु नॉसच सजय दीसजअ, आजु आसग हम जूसड़।।’’ 29 ISSN: 2454-2725 जाती है मजतनी अलौमकक पदमावती। श्याममनोहर पाण्डेय ने नागमती के सतीत्व को पदमावती स अमधक महत्वप ि ू ा माना-’’ िह नारी सजिको पसत सक उपेक्षा समली,सजिके रहते पसत ने दूिरी नारी को अंगीकार सकया,िह पसत के सलए िती हो जाती है तो उिका ययाग अपेक्षाकृत असधक महयिप ण क िमझा जाना चासहए।’’ 30 आचाया श क् ु ल ने इस उत्सगामय छमव के रूप पर म न ु ध होकर कहा है मक - ‘‘पसत परायणा नागमती जीिनकाल में अपनी प्रेमज्योसत िे गृह को आलोसकत करके अंत में िती की सद ग ं तव्यासपनी प्रभा िे दमकर इि लोक िे अदृश्य हो जाती है। ’’ 31 नागमती का चररत्र समाज के कई पहल ओ ं से रूबरू होता हुआ एक स्त्री की व्यथा-कथा के साथ समाज का भी आइना प्रस्त त ु करता है। नागमती भारतीय नारी के चररत्र का सवोच्च आदशाात्मक प्रमतमब ब ं है। नागमती को नारी का श द्ध रुप मानते हुए श्याममनोहर पाण्डेय मलखते है- ’’पदमािती िे असधक ििक्त चररि नागमसत का है। िह नारी ह्रदय की िमस्त सनबकलताओ ं िे पररपूणक हैं। पदमािती िाधना और तप का आलंबन अिश्य है पर नारी का िुि मानिीय रुप तो नागमती में ही प्रकि हुआ है। ’’ 32 िन्द्दभक िूची . 1. 83 पदमावत : सं. माताप्रसाद ग प्त ु , पृ.129, पद 2. वही पृ.129, पद 83 पमत धमा और प्रेम की अमनन में ख द ु को आहूत करक नागमती भी उतनी ही उजाावान तथा प्रकाशमान हो Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017