Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 365

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
संघर्षों से लड़ रही है । आधुमनकता के इस दौर में सामामजक ढ़ांचा बदल रहा है । इस पररवतान को देखकर मशवप्रसाद मसंह ने नन्हों कहानी के संदभा में कहा है , “ नन्हों मध्यवगीय नारी का प्रमतमनमधत्व करती है , उसे शायद इतनी छू ट ममल जाये मक वह भमवष्ट्य में अपनी मजबूररयों से बचने के मलए कोई रास्ता ढूंढ ले , क्योंमक समाज का नैमतक ढ़ांचा काफी तेजी से बदल रहा है ।” 21
‘ गंगा तुलसी ’ कहानी में एक मवधवा स्त्री की मनयमत और असुरमक्षत जीवन को मचमत्रत मकया गया है । कहानी की के न्द्रीय पात्र गंगा अपने इकलौते बेटे को पढ़ाना चाहती है लेमकन उसकी आमथाक मस्थमत दयनीय है । बेटे को पढ़ाने की लालसा को पूरा करने के मलए वह जमींदार के घर चूल्हा-चौका का काम करने लगती है जहाँ उसे मजबूरन जमींदार से संबंध भी बनाना पड़ता है । गंगा इस बात को अच्छी तरह समझती है मक अगर वह ज़मीदार के कू कृ त्य का मवरोध करेगी तो उसके बेटे का पढ़ना तो दूर उसका इस गाँव में रहना भी मुमश्कल हो जायेगा । अत : वह अपनी आत्मा को मार कर उस पररमस्थमत से समझौता कर लेती है । गंगा और जमींदार के संबंध की चचाा पूरे गाँव में फै ल जाती है । यह बात जब उसके बेटे को पता चलती है तो उसी बेटा के अन्दर सुनी-सुनाई बातों से माँ के प्रमत मन में घृिा और ममता का परस्पर
मवरोधी भाव पनप रहा है । उसे लगता है मक शायद वह नाजायज सन्तान है । उसकी प्रश्न भरी ्टमसे को देखकर मरिासन्न माँ कहती है , “ गंगा के पेट में दुमनया भर की गंदगी समाई रहती है , पर पानी कभी अपमवत्र नहीं होता । तेरे में कोई पाप नहीं ...” 22 मजस बेटे के मलए उसने पूरा जीवन संघर्षा मकया । आज उसी बेटे को सफाई देनी पड़ रही है । उसमें सुनील का दोर्ष नहीं है । हमारी सामामजक मवडम्बना ही ऐसी है ।
‘ टूटे तारे ’ कहानी स्त्री जीवन की मनयमत को आधार बनाकर मलखी गयी है । इस कहानी की के न्द्रीय पात्र श्यामा की मनयमत ही वेश्या बनना है । श्यामा मनोहर के प्रेम जाल में फँ स कर उसके साथ संबंध बनाती है । लेमकन बाद में मनोहर उससे शादी करने से इंकार कर देता है । गभावती श्यामा एक मदन बाप को बेइज्जती से बचाने के मलए घर से भाग जाती है । महीनों बाद उसे एक लड़की हुई , मजसे अपमान की आग से बचाने के मलए वह नाच-गाकर तथा अपने शरीर का सौदा करके पैसे इकिा करती रही । बेटी की शादी के मदन वह खुद को रोक नहीं पाती है । लेमकन उसकी मनयमत वहाँ भी उसका पीछा नहीं छोड़ती है । शादी के मंडप में वर का मपता ब्याह रुकवा देता है । वह कहता है मक “ वेश्या की लड़की से शादी करने चले हैं ! क्या यह लड़की आप की है । धोखा मत दीमजए , मुझे सब मालूम है । आपने इसका पालन
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017