Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 361

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
मूलाधार है । उनकी ्टमसे ऐसे पात्रों पर भी पड़ती है जो मबना मकसी अपराध के यातना पाते हैं । दशान की भार्षा में इसे ‘ अनकममटेडसफररंग ’ कहते हैं ।” 6 उनकी कहानी ‘ मबंदा महाराज ’ ऐसा ही पात्र है जो मबना मकसी अपराध के अनेक सामामजक समस्याओं का सामना कर रहा है । नयी कहानी में ‘ पररवेश की मवश्वनीयता ’, ‘ अनुभूमत की प्रामामिकता ’ और ‘ अमभव्यमक्त की ईमानदारी ’ का आग्रह था , उसका प्रमतरूप मशवप्रसाद मसंह की कहामनयों में मदखाई देता है । मशवप्रसाद मसंह कहते हैं , “ मेरी कहामनयों में , उपन्यासों में जो पात्र आये हैं वे पूरे के पूरे कल्पना द्वारा नहीं मनममात मकए गये हैं । यह अलग बात है मक पररवार , ररश्ते , पररवेश और वातावरि मभन्न हैं लेमकन वो सब मेरे जाने हुए और देखे हुए हैं । कहीं न कहीं मेरा उनसे मानवीयता के धरातल पर , संवेदना के स्तर पर संपका रहा है । चाहे वे बुझारत हों या खुदाबख्श , या मबंदा महाराज , सब मेरे देखे हुए पात्र हैं , काल्पमनक नहीं ।” 7 इन्होंने अपने आस-पास के प्रत्यक्ष अनुभव को कहानी का मवर्षय बनाया । इस सन्दभा में उन्होंने कहा है- “ ये अनुभव मेरे लेखक के मलए वरदान भी थे और चुनौती भी । वरदान इस अथा में मक मुझे अपनी कहामनयों के प्लाट खोजने के मलए कहीं भटकना नहीं पड़ता था और चुनौती इस अथा में मक अपने व्यमक्तगत अनुभवों को मैं मकस प्रकार एक
अपेक्षाकृ त मवस्तृत मानवीय संवेदना से युक्त करूँ मक लोगों को वह आंचमलक न लगे ।” 8
‘ मंमजल और मौत ’ कहानी में एक व्यमक्त के जीवन की लालसा को बड़े ही माममाक ढंग से अमभव्यक्त मकया गया है । इस कहानी का पात्र ‘ बौड़म ’ स्वतंत्र भारत में मजन्दगी की तमाम मवपरीत पररमस्थयों से लड़ रहा है । उसकी पत्नी ने बौड़म को पागल कह कर ठुकरा मदया और ठाकु र के इशारे पर उसके नौकर की रखैल बन गयी । तब से उसके मन की इच्छा है मक रुन-झुन पायलों वाली एक बहू लाये । उसके घर की खुमशयाँ पुन : लौट आये । इस कहानी में लेखक कु एं के पास की पुरानी सीमढ़यों का प्रमतकात्मक रूप प्रस्तुत करता है जो बौड़म की मजन्दगी की तरह मबल्कु ल जजार हो गयी “ मजसके सहारे पीठ को अड़ाकर , अपने दोनों घुटनों के बीच मसर को गड़ाकर बौड़म मनिेसे बैठा रहेगा , जैसे मजन्दगी के असह्य भार को क्षि भर के मलए उतारकर कोई थका-हारा बटोही मवश्राम करता है ।” 9 इस मवर्षम पररमस्थमत में उसके अन्दर मजजीमवर्षा है । बौड़म की इस असह्य मस्थमत में भी पूरा गाँव उसे मनोरंजन का साधन मानता है । बच्चे , बूढ़े , अधेड़ , औरतें सब ममलकर बौड़म को मबना पैसे का खेल समझते हैं । मकसी गीत द्वारा या उसके कं धे की चादर खींच कर उसे उकसाया जाता है । उसके लाल-लाल आँखों में क्रोध , दीनता , कच्ची नींद के
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017