Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 346

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
हमीर के घर में हुआ , एक अन्य जनश्रुमत के अनुसार हमीर जाट जसनाथ जी के पोर्षक मपता थे , मसद्ध जसनाथ का पूवा नाम जसवंत था । आपने गुरु गोरखनाथ से दीक्षा ग्रहि की तबसे आपका नाम जसनाथ हो गया । मसद्ध जसनाथ सं०1563 की आमश्वन शुक्ल 7 को जीमवत समामधस्थ हुए । 46 इस सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दी , कतररयासर ( बीकानेर ) में है , इसके अमतररक्त इस सम्प्रदाय का प्रचार एवं प्रसार पसलू , मलखमादेसर , छाजूसर , पुनरासर तथा मात्नासर में हुआ , इस सम्प्रदाय की मशष्ट्य परम्परा में हारोजी , हांसोजी , पालोजी , टोडाजी , रूस्तम जी , रामनाथजी तथा लालनाथजी के नाम उल्लेखनीय हैं । इस सम्प्रदाय के प्रमुख मसद्ध कहलाते हैं । ये मसद्ध भगवा कपड़े पहनते हैं । 47 इस सम्प्रदाय में मनगु ाि मत को ही महत्त्व मदया जाता है तथा मकसी भी देवता का इस सम्प्रदाय में कोई स्थान नहीं है ।
पानप-पंथ :
मजलसदास , गाधोदास , बरदास , हीरादास , श्यामदास , मनहालदास , स्वरूपदास , भजनदास , पूरनदास , जगदीशानंद , दयाप्रकाश , प्रीतमदास के नाम उल्लेखनीय हैं । 50
सखी सम्प्रदाय :
मभनकराम बाबा के मशष्ट्य मनपतराम की मशष्ट्य परम्परा में लामछमी ( लक्ष्मी ) सखी का नाम प्रमसद्ध है । इनका जन्म सारन मजले के अमनौर नामक ग्राम में सं० 1898 में हुआ । ये जामत के कायस्थ थे , सं० 1971 में इनका देहावसान हुआ , इनके मशष्ट्यों में मसद्धनाथ , त्यागी , प्रदीप एवं कामता सखी प्रमुख हैं । छपरा में इनका प्रधान के न्द्र ‘ सखीमठ ‘ मवद्यमान है । 51
हीरादासी-पंथ :
हीरादासी पंथ का प्रवतान एक कबीर पंथी संत मनवाािदास के मशष्ट्य ने मकया । हीरा-दास का जीवनकाल सं० 1551 से 1636 मव० कहा जाता है । इस परम्परा में गुजरात के समथादास का नाम भी मलया जाता है । इस पंथ में कु छ नवीनता नहीं है यह पंथ न होकर एक परम्परा ही कही जा सकती है । 52
संत पानपदास के नाम पर पानप पंथ प्रवता हुआ । इनका जन्म बीरबल वंश में िह्मभट्ट जामत के अंतगात सं० 1776 को मबजनौर के मजले में नगीना धामपुर जैसे मकसी नगर में होना माना गया है । 48 पानपदास का महात्मा मंगनी राम के द्वारा दीमक्षत होना राधास्वामी पंथ : माना गया है । उनके सवाप्रथम दीमक्षत मशष्ट्य थे , उनके पिात् पांच और व्यमक्तयों को उन्होंने दीमक्षत मकया ,
राधास्वामी पंथ के मूल प्रवताक मशवदयाल
मजनमें मबहारीदास , अचलदास , ख्यालीदास गंगादास साहब कहे जाते हैं । इनका जन्म सं० 1875 में , एक
, वं हररदास का नाम आता है । 49 मदल्ली में इनकी गद्दी खत्री पररवार में हुआ । सं० 1917 में इन्होंने मशष्ट्यों
तेलीबाड़ा में स्थामपत हुई । धामपुर में लोमहया नामक को उपदेश देने का काया आरम्भ मकया । इनका
स्थान पर इनका महल है जो ‘ पानपदास जी महाराजा देहावसान सं० 1935 में हुआ । इनके अन्तर
का स्थान ‘ नाम से प्रमसद्ध है । इसी को पानप-पंथ का रायबहादुर सामलग्राम उत्तरामधकारी बने । इस पंथ की
प्रधान के न्द्र कहा जाता है तथा इस सम्प्रदाय की मुख्य शाखाओं में फौजी सैमनक , बाबा जयमल मसंह की
गद्दी भी यहीं धामपुर में है । सं० 1830 में इनका देहान्त डेरा व्यास वाली शाखा है । इनकी मृत्यु के उपरान्त
हुआ । इनके मशष्ट्यों में मानसदास का नाम आता है इनके दो उत्तरामधकाररयों ने दो गमद्दयां स्थामपत की ,
तथा इनके प्रमशष्ट्यों में धरमदास , प्रेमदास ,
मजनमें एक व्यास में सावनमसंह की गद्दी तथा Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017