Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 345

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
है । मशवनारायि के चार प्रमुख मशष्ट्य हुए हैं - रामनाथ , सदामशव , लखनराम , तथा लेखराज , सम्प्रदाय के मवस्तार का श्रेय मशवनारायि के प्रमुख मशष्ट्यों लखनराम तथा सदामशव को है । इस सम्प्रदाय के चार प्रमुख घामघर हैं यथा- संत मशवनारायि का जन्म स्थान ‘ चंदवार ‘ उनका मृत्युस्थान ‘ ससना ‘ , प्रमुख मशष्ट्य लखनराम का जन्मस्थान ‘ बड़सरी ‘ तथा गाजीपुर नगर का ‘ ममयाँ टोला ‘। इन धामघरों में प्रथम तीन आधुमनक बमलया मजले में है , चौथा गाजीपुर शहर के ममयां टोला मुहल्ले में मस्थत है , इनके अमतररक्त बमलया मजले मक अन्य गमद्दयों में मडह्वा , रतसड़ , बलुआ , दोहरी घाट आमद उल्लेखनीय है । 40 सम्प्रदाय के पवों में कामताक सुदी तीज , अगहन सुदी त्रयोदशी , माघसुदी पंचमी , श्रावि शुक्ल , सप्तमी का मवशेर्ष महत्त्व है । 41
रमवभाि पंथ :
‘ रमवराम साहब ‘ तथा ‘ भाि साहब ‘ गुजरात के प्रमसद्ध सन्तों में मगने जाते हैं । रमवराम साहब भाि साहब के मशष्ट्य थे , इन दोनों सन्तों के नाम पर यह पंथ प्रवता हुआ । रमव साहब के प्रमुख मशष्ट्य ‘ मोरार साहब ‘ हुए हैं । मोरार सामहब की मशष्ट्य - परम्परा में महन्दू व मुसलमान दोनों कौमों के लोग थे । संत होथी ( मुसलमान ) इनके प्रमुख मशष्ट्य थे । महन्दुओं में चरनदास ( लोहािा ) छोटालाल ( दजी ) तथा रिमल मसंह इनके मशष्ट्य थे । भाि साहब की मशष्ट्य परम्परा में खीमसाहब का नाम भी उल्लेखनीय है । इस पंथ के अनुयायी गुजरात , सौराष्ट्र तथा पमिमी राजस्थान में ममलते हैं । 42
‘ संत-मत ‘ नाम मदया है । 43 तुलसीसाहब का पूवा नाम श्यामराव था , आप बाजीराव मद्वतीय के बड़े भाई थे , परन्तु वैरानय भाव के कारि , आप इस संसार से मवरक्त हो हाथरस में ही रहने लगे । वहीं काला कं बल ओढ़कर हाथ में लेकर उपदेश मदया करते थे । इनके मशष्ट्य प्रमशष्ट्यों में सूरस्वामी , दरसन साहब , मथुरादास साहब , संतोर्ष दास , ध्यान दास तथा प्रकाश दास प्रभृमत सन्त आते हैं , तुलसीदास साहब की समामध हाथरस में वतामान है जहाँ ज्येष्ठशुक्ल 2 को प्रमतवर्षा भंडारा होता है । 44
लाल पन्थ :
लाल पन्थ के प्रवताक सन्त लालदास का जन्म अलवर राज्यान्तगात धौलीधूप ग्राम में सं०1597 में हुआ , ये मेव जामत तथा मनधान पररवार से सम्बमन्धत थे । बाल्यकाल से ही सन्त लालदास , कान्तसेवी तथा भगवद्भक्त थे । संत लालदास साक्षर , एवं मशमक्षत नहीं थे परन्तु इनके उपदेशों में भाव गम्भीया की कमी न थी । इनका मववाह भी हुआ था तथा इनका एक पुत्र एवं एक पुत्री थी । इनका देहावसान सं० 1705 में हुआ । 45 सन्त लालदास के अनुयायी जो अलवर राज्यान्तगात पाए जाते हैं वे ‘ लालपन्थी ‘ कहलाते हैं । इनके मशष्ट्यों अथवा गद्दी परम्परा के बारे में कोई मववरि प्राप्त नहीं होता , परन्तु संत लालदास को चमत्कार एवं मदव्यता के कारि मफर भी प्रमसमद्ध प्राप्त है । इनकी बामनयों का एक संग्रह ‘ लालदास की चेतावनी ‘ शीर्षाक से हस्तमलमखत रूप में संग्रमहत है ।
जसनाथी सम्प्रदाय :
सामहब पंथ :
जसनाथी सम्प्रदास ‘ मसद्ध सम्प्रदाय ‘ भी
सामहब पंथ के प्रवताक ‘ तुलसी साहब ‘
कहा जाता है , इसके प्रवताक मसद्ध जसनाथ का जन्म
हाथरस वाले थे , मजन्हें सामहब जी के नाम से भी जाना
सं०1539 की कामताक शुक्ल को बीकानेर
जाता है । तुलसी साहब ने अपने द्वारा प्रवता मत को
राज्यान्तगात कतररयासर के अमधपमत जािी जाट
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 .
वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017