Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 339

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
रूप में ए , क ऐमन्द्रजामलक मोहपाश है मजसमें बंधकर जन मानस का अमवकल हृदय , संतृमप्त एवं तोश का अनुभव करता रहा है ।
मवमभन्न संत पंथ एवं सम्प्रदायों का पररचय :
पूवामध्यकाल की मनगु ाि शाखा के संत सम्प्रदायों का उत्तरोत्तर मध्यकाल में मवकास हुआ मजसके अंतगात लगभग 45 संत सम्प्रदाय एवं उपसम्प्रदाय मवकमसत हुए , मजनमें से प्रमुख सम्प्रदायों का पररचय इस प्रकार है :
नानक एवं मसक्ख सम्प्रदाय :
समस्त सन्त सम्प्रदाय अथवा पन्थों में नानक द्वारा स्थामपत परवती नौ गुरुओं द्वारा पुसे नानक पंथ , जो मसख मत के रूप में प्रमसद्ध हुआ , ही ऐसा पंथ है जो संगमठत स्वरूप में मवकमसत हुआ , इस पंथ के अंतगात मसख धमा का अत्यामधक उत्कर्षा उजागर हुआ । इस पंथ का मुख्य के न्द्र पंजाब रहा है , जो आक्रान्ताओंके कारि सदैव मवचमलत होता रहा है , कदामचत यही कारि है मक यहाँ इस पंथ का इतना अमधक उत्कर्षा हुआ । इस पंथ के प्रवताक , मसखों के आमदगुरु , गुरु नानकदेव थे । इनका आमवभााव कबीर की मृत्यु के इक्कीस वर्षा पिात् सं० 1526 में लाहौर के समीप तलवंडी नामक गाँव में हुआ । सं० 1595 में इनका देहावसान हुआ । 1 बाल्यकाल से ही नानक अध्यामत्मक प्रवृमत्त वाले थे , इन्हें पंजाबी संस्कृ त , महंदी , वं फारसी का अच्छा ज्ञान था । नानक जी ने बहुत से पदों का प्रियन मकया इनके द्वारा प्रिीत रचनाओं में ‘ जपुजी ‘ अत्यन्त प्रमसद्ध है । इनकी वािी ‘ श्री गुरुग्रंथसामहब ‘ में संग्रमहत हैं , गुरु नानकजी ने अपनी वािी के माध्यम से सुप्त प्रायः मानव जामत को जाग्रमत प्रदान करने का काया मकया । उन्हों ने मानव सेवा का सवोत्तम मसद्धान्त स्थामपत मकया , मानव धमा
के माध्यम से समाज में समता उनकी सबसे बड़ी देन है ।
गुरु नानक द्वारा प्रवता सम्प्रदाय को गुरु गोमबन्द मसंह ने सं०1756 में खालसा पंथ ( सम्प्रदाय ) का रूप दे मदया । 2 गुरु नानक देव के पुत्र श्री चन्द ने उदासी नामक सम्प्रदाय को प्रवता मकया , इस सम्प्रदाय की चार प्रधान शाखाऐं हैं जो धुआं कहलाती हैं - फु लासामहब की शाखा , बाबा हसन की शाखा , अलमस्त सामहब की शाखा , गोमवंद सामहब की शाखा । इस पंथ में मनगु ाि एवं सगुि-सामंजस्य ्टमसेगोचर होता है । 3 मसखों की शस्त्रधारी एवं मवद्याधारी प्रवृमत्त को ध्यान में रखते हुए गोमबन्द मसंह ने श्स्त्रधारी को ‘ खालसा ‘ तथा मवद्याधारी को ‘ मनरमल भेर्ष ‘ की संज्ञा दी । ‘ मोरव ‘ पंथगुरु गोमबन्द मसंह को मनमाला सम्प्रदाय का प्रवताक मानता है । खालसा पंथ और मनमाल सम्प्रदाय में अन्तर इतना ही है मक खालसा के मसख गृहस्थ भेर्ष हैं और
मनमाल मसखों के मलए मववाह का मनर्षेध है । 4 एक अन्य मतानुसार गुरु गोमबन्द मसंह की आज्ञा से वीरमसंह ने मनमाला सम्प्रदाय की स्थापना की । 5 राम मसंह नामक मसख ने ‘ नामधारी सम्प्रदाय ‘ की स्थापना की थी । इस सम्प्रदाय के अनुयायी ‘ कू का ‘ नाम से भी प्रमसद्ध हैं । इस सम्प्रदाय के प्रवताक राममसंह को रंगून में मनव ामसत मकया जाना प्रमसद्ध है , क्योंमक उनके अनुयामययों ने बहुत से कसाइयों की हत्या कर दी थी । ‘ सूचा ‘ नामक िाह्मि अथवा सुथराशाह ने सुथराशाही सम्प्रदाय की स्थापना की , इन्हें गुरु हरगोमवन्द तथा गुरु अजु ान देव जी से सम्बमन्धत माना जाता है । इसी प्रकार भाई कन्हैया द्वारा सेवा पन्थी सम्प्रदाय प्रवता हुआ है । मसख मतांतगात अकाली सम्प्रदाय का भी नाम आता है । खालसा सम्प्रदाय की उत्पमत से पूवा अथाात् सं० 1747 के लगभग मानमसंह
के नायकत्व में अकाली सम्प्रदाय का आमवभ ाव Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017