Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 335

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका उसने सोचा वह रसोई में गई और आँगन के बीचोबीच लाकर रख मदया एक जल-भरा कटोरा लेमकन सारस उसी तरह करते रह शहर की पररक्रमा न तो उन्होंने ब म ु ढ़या को देखा न जल भर कटोरे को सारसों को तो पता तक नहीं था मक नीचे रहते हैं लोग जो उन्हें कहते हैं सारस पानी को खोजत द र ू -देसावर से आए थे व सो उन्होंने गदान उठाई एकबार पीछे की ओर देखा न जाने क्या था उस मनगाह म दया मक घृिा पर एक बार जाते-जात उन्होंने शहर की ओर म ड़ ु कर देखा ज़रूर मफर हवा म अपने डैने पीटते हुए द र ू रयों में धीरे -धीर खो गए सारस 31 Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. ISSN: 2454-2725 इस कमवता में कमव ने सारस शहर और ब म ु ढ़या के माध्यम से लोक और आध म ु नकता का एक महत्वपूिा रूपक रचा है। द र ू देसावर से आए सारस शहर में जल की खोज के मलए आए हैं , द र ू देसावर म जल नहीं है , यह एक मबंडबना है , शहर जो उनकी तरफ नहीं देखता, वह आध म ु नकता का अमतरे क है , और वह ब म ु ढ़या वह लोक है , जो शहर की ओर मवस्थामपत होता जा रहा है , मजसने अपने अ द ं र म ल् ू य चेतना को बचाए रक्खा है। इस तरह हम देखते हैं मक के दार के यहा आध म ु नकता के कई चेहरे हैं , जो कमव की कमवता म मशद्दत के साथ प्रस्त त ु हैं। के दार के यहा आध म ु नकताबोध एक म ल् ू य और लोक के साथ स म ं श्लसे होकर एक जातीय चेतना की तरह आया है। कुमार कृ ष्ट्ि के शब्दों में - “के दारनाथ मस ह ं की कमवताएँ आध म ु नकतावाद और उग्र क्रा म ं तकारी भटकाव के खतरे से अपने को बचाते हुए बेहतर द म ु नया बनाने की मच त ं ा मलए हुए आगे बढ़ती है। मनमित रूप से के दार जी को आत्मसंघर्षा करना पड़ा होगा एवं नयी कमवता से लड़ने , उबरने की चेसेा भी उनके भीतर मौज द ू रही होगी। हर महान कमव महान स भ ं ावनाओ ं के साथ नये मसरे से लड़ाई लेने का जोमखम लेता है और के दार की कमवताएँ उसी जोमखम की कमवताएँ हैं जो आलोचकों को भी जोमखम उठाने के मलए मजब र ू करती हैं। ” 32 इस तरह हम देखते हैं मक के दार की आध म ु नकता का मवकास भी पमिम के मानकों पर हुआ है लेमकन उनकी आध म ु नकता की अमद्वतीयता यह है मक वह प ि ू त ा ः य र ू ोपीय न होते हुए भारतीय आध म ु नकता है मजसकी जड़े भारत की जमीन में मौज द ू हैं। उनकी कमवताओ ं में व्यक्त आध म ु नकता इसका साक्ष्य प्रस्त त ु करती है। वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सित ब ं र 2017