Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 33

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
के कान खड़े हो गये । भय और संशय से दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और एक पल में दरवाजे पर पहुँच गये । अँधेरे में भीड़ के बीच उन्हें चम्पा की परछाई ं स्पसे रूप से मदखायी पड़ी । शरीर पर कपड़े थे मकन्तु फटे जो शरीर को ढांकने से ज्यादा शरीर को मदखा रहे थे । चेहरे , गदान , हाथ पर नाखूनों , दांतों के मनशान अपनी कहानी कह रहे थे । कोहनी , घुटनों , एड़ी से ररसता लहू चम्पा के संघर्षा को बता रहा था । देह से जगह-जगह से ररस चुका लहू कपड़ों पर अपने दाग छोड़ चुका था जो उसके मसले जाने को चीख-चीख कर बता रहा था । पूरे मामले को समझ हररया दोनों हाथों से मसर को पकड़ चबूतरे पर मगर सा पड़ा । रामदेई दौड़ कर चम्पा के पास पहुँची । ‘‘ अम्मा , गेंहू ममल गओ ...... पानी ममल गओ ...... और .... औ ... र ... र पैसऊ ममल गये ।’’ चम्पा की आवाज कहीं गहराई से आती लगी । चेहरे पर आँसुओंके मनशान सूख चुके थे , आँखों में खामोशी , भय और आवाज में खालीपन सा था । मसर पर लदी गेंहू की छोटी सी पोटली , हाथ में पानी से भरी बाल्टी और मुिी में बँधे चन्द रुपये हररया , रामदेई और चम्पा को खुशी नहीं दे पा रहे थे । रामदेई द्वारा चम्पा को संभालने की हड़बड़ाहट और चम्पा द्वारा आगे बढ़ने की कोमशश में चम्पा स्वयं को संभाल न सकी और वहीं मगर पड़ी । बाल्टी का पानी फै ल कर कीचड़ में बदल गया ; पोटली में बँधे गेंहू के दाने रामदेई के पैरों में मबछ गये ; मुिी में बँधे चन्द रुपयों में से कु छ नोट छू ट कर इधर-उधर उड़ गये । रामदेई ने चम्पा को अपनी बाँहों में संभालने की असफल कोमशश की मकन्तु अपने शरीर पर हुए अत्याचार से सहमी और कई मदनों की भूख-प्यास से व्याकु ल चम्पा अपनी तकलीफ , अपने शोर्षि को भूल मबखरे गेंहू के दाने , पानी और उड़ते हुए नोटों को समेटने का उपक्रम करने लगी । वहीं हररया अपने ऊपर हो रहे
अत्याचारों - कभी माँ समान खेत , कभी बीवी और अब बेटी - का कोई उपाय न कर पाने पर खुद को बेहद असहाय सा महसूस कर रहा था । कु छ न कर पाने की तड़प में वह मचल्ला-मचल्ला कर रोने लगा । गाँव की तमाशबीन भीड़ के कु छ चेहरे वहीं खड़े रहे और कु छ नजरें बचा कर इधर-उधर हो मलये । ................................................................... . कु मारेन्द्द्र सकिोरीमहेन्द्द्र ( वास्तसवक नाम डॉ० कु मारेन्द्र सिंह िेंगर ) िम्पादक – स्पंदन एिं िहायक प्राध्यापक , सहन्द्दी गाँधी महासिद्यालय , उरई ( जालौन )
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017