Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 314

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
उदय प्रकाि की रचना िृसि का राजनीसतक आयाम
नाम : सिनय कु मार समश्र vinaymishra . cu11 @ gmail . com
9748085097 पता : 6 / 1 , क्षेत्रा चटजी लेन ,
सालमकया , हावड़ा । मपन- 711106
मपछले तीन दशकों से भारत की तथाकमथत लोकतांमत्रक राजनीमत का स्वरूप पहले से कई मायनों और कई रूपों में बदला है । इस दौरान भारतीय राजनीमत में क्षेत्रीय छोटे दलों का वचास्व तेजी से बढ़ा है । सरकार के गठन में दूसरे और तीसरे मोचे ने अहम भूममका मनभाई । मबना मकसी ठोस मुद्दे , कायाक्रम और नीमत के गठजोड़ की राजनीमत और जोड़-तोड़ की राजनीमत ही राजसत्ता का चररत्र बन गया । धमा , जामत और स्थानीय मुद्दों के सहारे राजनीमत में क्षेत्रीय दलों का उभार हुआ । जन प्रमतमनमधसांसद -मवधायक खरीदे जाने लगे । व्यमक्तगत तुच्द स्वाथों के वश राजनेता सरकारें बनाने-मगराने लगे । सरकारी नीमतयों को कॉरपोरेट , देशी-मवदेशी पू ंजीपमत घराने तय करने लगे । राजनीमत का अपराधीकरि हो गया । मामफयाओं का अवैध मशकं जा , राजनीमत , प्रशासन और दैमनक नागररक जीवन पर कसता चला गया । इनमें संमदनध मकस्म के मबल्डसा और ठेके दार हैं , छोटे- बड़े उद्यमी और उद्योपमत हैं , सटोररये और प्रॉपटी का धंधा करने वाले दलाल हैं । यही लोग राजनेताओं के चहेते बन गए हैं । ये अनौमतकता , बबारता और महंस्रता की मकसी भी सीमा को लांघ सकते हैं । मकशन पटनायक ने ठीक लमक्षतत मकया है मक “ व्यापाररयों , राजनेताओं और अपरामधयों का गठजोड़ हमारी राजनीमत की मुख्यधारा बन गया है ।” 1 प्रश्न है क्या
राजनीमत में शुमचता कायम हो सके गी ? सरकारी नीमतयों में पू ंजीपमतयों का हस्तक्षेप कब बंद होगा ? उदय प्रकाश की रचनात्मक प्रमतबद्धता ऐसे कई सवालों से रुबरु होती है । इस दौर के राजनीमतक कलेवर और तेवर पर साथाक , सुमचंमतत , पारदशी , बेबाक और यथोमचत मटप्पिी उदय प्रकाश की कथा ्टमसे की एक महत्त्वपूिा मवशेर्षता है । यह एक प्रधान राजनीमतक लक्षि बन गया है मक राजनीमतक दल अपने वायदों , घोर्षिाओं या मेमनफे स्टों की बातों को शायद ही पूरा करते हों । इनकी बातें प्रायः खोखली होती हैं । इनकी बातें राजनीमतक लफ्फाजी से अमधक कु छ नहीं होती हैं । इसी कारि जन सामान्य के बीच राजनेताओंकी मवश्वसनीयता मनरंतर घटती जा रही है । रोचक बात यह है मक इस तथ्य से ये राजनीमतक भी पूरी तरह वामकफ होते हैं । मफर भी आत्मशोधन की बजाय जनमत को प्रभामवत करने के मलए कई हथकं डे अपनाते हैं । इस राजनीमतक मवडंबनाओं पर एक मटप्पिी में उदय प्रकाश मलखते हैं- “ मतदाता तो हर बार मकसी एक राजनीमतक दल को सजा देता है , मजसका फायदा दूसरी राजनीमतक पाटी को अपने आप ममल जाता है और वह सरकार बना लेता है । यह सच्चाई हर राजनीमतक नेता जानता है मक शायद ही कोई नागररक उस पर मवश्वास करता हो , इसमलए वह स्वयं जनता पर अमवश्वास करता है । उसके प्रमत संदेह और शंका से भरा होता है । यही कारि है मक उसे जनता का वोट पाने के मलए मसनेमा , खेल , टीवी , फै शन-नलौमर आमद इलाकों से उन लोगों को अपने प्रचार में उतारना पड़ता है , मजनकी मवश्वसनीयता , साख और लोकमप्रयता जनता के बीच उन राजनीमतक पाटी के नेताओं से ज्यादा होती है ।” 2 समाज के मवमवध क्षेत्रों में समक्रय मशहूर लोगों का राजनीमतक इस्तेमाल एक प्रचलन सा हो गया है । ऐसे लोग भी भारतीय लोकतंत्र के प्रमत अपेमक्षत दामयत्व का
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017