Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 30

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका िासहसययक सिमिक: निगीत ISSN: 2454-2725 मेरे मदल को छू मलया ।।४।। पीताम्बर दाि िरार् "रंक" गीत --------------- त म ु ने म झ ु े सलाम मकया मेरे मदल को छू मलया मेरा सब कुछ त म् ु हारा अब त म ु ने म झ ु े जीत मलया।। प्रेषक- पीताम्बर दाि िरार्"रंक" बी/६०२,बघेरिाल र्ोर िीज़न, सििी मॉल के िामने , राजीि गांधी नगर कोिा ३२४००५ (राजस्थान) मो-०९४२५१६८४७६,०९५२७४२९६५६ िेबिाइि www.pdsaraf.co.nr सलाम सलाम ओ मदलरूबा तू हमसे बढ़कर है ज़रूर पर तेरे मदल में हुस्न का पल रहा है कहीं ग़ रू र मफर भी तेरी इक अदा न मेरे मदल को छू मलया ।।१।। जानकर जो त म ु ने मेरी नज़रों से नज़रें एक कीं मेरे मदल को अपना बना शह दी पहले मफर मात दी इसी तेरी इक नज़र न मेरे मदल को छू मलया ।।२।। अब त म् ु हारी हर अदा मेरी जान पे बन के आती ह हर कहीं,मकसी जगह भी मज़ द ं ा ही द़फ्न कर जाती ह वो त म् ु हारी कनमख़यों न मेरे मदल को छू मलया ।।३।। अब त म ु ही मदल की धड़कन त म ु ही सब कुछ हो मेरा म झ ु से द र ू होने की अब त म ु सोचना भी नहीं ज़रा त म ु ने हां कह के देख लो Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017