Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 282

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
रतनसेन की भोगमपपासा का मशकार बनती है । अंत में जब रतनसेन द्वारा मफल्मों में काम नहीं ममलता तब एन . आर . सजान से शादी कर लेती है ।
इस प्रकार स्पष्ठ है मक मफ़ल्मी दुमनयाँ की यह वास्तमवक मस्थमत है जहाँ मानवीय मूल्यों और ररश्तों नातों का कोई महत्त्व नहीं है । अमभनेत्री बनने की इच्छा में शकु न्तला को भी न जाने मकतने लोगों से हममबस्तरी करनी पड़ती है । जब शकु ं तला को घर में रखने की बात आती है तो जामलब लेखक से कहता है मक “ क्या बुरा है प्यारे । यहाँ रहेगी तुम भी बहती गंगा में हाथ धो लेना ।” 36 अमभनेमत्रयों के पास जब तक सौन्दया है तब तक ही उनके पास नाम , यश और प्रमतष्ठा है । जब जामलब के घर पर पुरानी महरोइन सुल्ताना से लेखक की मुलाकात होती है तो पता चलता है मक सुल्ताना के उम्र और सौन्दया के घटने के साथ ही उसकी पुरानी शान भी घट गई है । “ यही सुल्ताना थी । उनकी उम्र का अंदाजा लगाना आसान न था । भारी मेकअप और कीमती हीरे जड़े जेवरात से इस तरह सजी थी जैसे दुल्हन ।” 37 मपया के मलए भी जामलब कहता है मक मपया खुबसूरत है यही उसकी बदनसीबी है , इतनी खुबसूरत न होती तो ये हाल नहीं होता । इस प्रकार आज हमारे समाज में मफ़ल्मी मसतारों को प्रमसमद्ध और प्रमतष्ठा ममल रही है , लेमकन वहाँ की मजन्दगी मकस हद तक मगरी हुई है इस यथाथा को साधारि जनता नहीं देख सकती । एक मफल्म को बनकर आने में न जाने मकतने लोगों को दुःख , ददा झेलने पड़ते हैं । मफल्म बनकर आने के पीछे की सम्पूिा यथाथा मस्थमत का मचत्रि उपन्यास में मकया गया है ।
मफ़ल्मी मनदेशक , संगीत मनदेशक या पटकथा लेखक सभी के जीवन का अंमतम अथा ममदरा और मजस्म ही है । मजसमें पटकथा लेखक जामलब , संगीत मनदेशक मानस दा व मफल्म मनदेशक रतनसेन को देखा जा सकता है । शादीशुदा जीवन होने के बावजूद भी सभी पर-स्त्री संबंध रखते हैं । नशे के साथ-साथ मस्त्रयों की मजन्दगी से मखलवाड़ करना उनके मलए आम बात है । पटकथा लेखक जामलब शादीशुदा है , घर में पत्नी नीना है , दो बच्चे है लेमकन मफर भी उसके मलए पर-स्त्री सम्बन्ध आमबात है । नशे में चूर रहना और पर-मस्त्रयों से नाजायज सम्बन्ध उसके मलए साधारि चीज है । “ मछछोरी मकस्म की लड़मकयों को फ़्लैट पर लाने का मकस्सा कोई नया नहीं था । यह तो जामलब अक्सर करता रहता था । कभी-कभी तो अहमद बेचारा उसी कमरे में होता था मजस कमरे में जामलब लड़की से हममबस्तरी करता था । वह चुपचाप लेटे रहकर यह जामहर करता रहता था मक सो रहा है ।” 38 काम की तलाश में आनेवाली युवमतयों को भी जाल में फँ साना उसके मलए आमबात थी । जयपुर से आए हुए मनोहर मीना और उसकी ममेरी बहन शकु न्तला को भी उसने फँ सा मलया था । जब मनोहर शकु न्तला को जामलब के घर छोड़ कर जाता है तो पीछे से जामलब उसके साथ भी सम्भोग करता है । “ एक मदन मौका पाकर जामलब ने ममेरी बहन के साथ ‘ मु ँह काला ’ कर मलया । जामलब संभोग करने को ‘ मु ँह काला ’ करना कहता था ।” 39 जामलब के मलए पत्नी और बच्चों के ररश्तों की कोई अहममयत नहीं है । जामलब के अनैमतक संबंधों के कारि उनके पाररवाररक ररश्ते भी बनते-मबगड़ते और टूटते हैं । नीना के पैसों से ही वह शराब पीता है और बच्चों का खच ा चलाता है । लेमकन मफर भी मकसी
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017