Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 281

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
कहानी उपन्यास के प्रारंभ होने से पूवा की है । उपन्यास की वास्तमवक शुरुआत लेखक के मुम्बई पहुँचने से होती है । जामलब के घर आने पर लेखक की मुलाकात सुल्ताना , ममज ा साहब , मानस , हैदर साहब , मपया , रतनसेन , नीना , जमसया आमद से होती है । ये मफ़ल्मी दुमनया के यथाथा चेहरे है । इन खुबसूरत चेहरों के पीछे मछपे यथाथा और बदसूरती से लेखक वामकफ होता है । यहाँ पर ही जामलब के फ़्लैट में रहकर ही उसे मफ़ल्मी दुमनया के यथाथा का पता चलता है । रंगीन दुमनया के पीछे मछपी बेरंगी से उसका साक्षात्कार होता है । इन्हीं मफ़ल्मी जगत् की कड़ी सच्चाईयों को लेखक ने इस उपन्यास के माध्यम से हमारे सामने प्रस्तुत मकया है ।
मफ़ल्मी दुमनया की चकाचौंध भरी मजन्दगी पैसे और प्रमतष्ठा की झूठी शान पर मटकी हुई है । यह दुमनया मौज और मस्ती की दुमनया है । यहाँ की दुमनया का नैरन्तया पीने और मपलाने में है । पीने और मपलाने के मबना तो मफ़ल्मी दुमनयाँ ही अधूरी है । स्त्री हो या पुरुर्ष सब नशे में चूर है । जामलब की सुबह की शुरुआत दारू से होती है । रात का नशा उतारने के मलए उन्हें सुबह-सुबह मफर से दारू के नशे की जरूरत होती है । “ जामलब शुरू होने के बाद रुका नहीं । एक ‘ पेग ’ के बाद उसने दूसरा और दुसरे के बाद तीसरा और चौथा बनाया । मुझे यह समझते देर नहीं लगी मक वह मदन भर पीता है और नशे में रहता है ।” 32 मफ़ल्मी जगत् में प्रमतमष्ठत हमस्तयाँ भी नशे में बब ाद हो जाती है । ‘ देवी ’ भी पहले इतनी टेलेंटेड थी मक लोग उसे नयी मस्मता पामटल कहा करते थे लेमकन चरस गांजे ने उसे बब ाद कर मदया । “ लेमकन चरस गांजे ने उसे बबााद कर मदया । तुमने तो कल ही देखा होगा हड्मडयाँ मनकल आयी हैं और आँखों के चारों तरफ
काले-काले गोले मखंच गए हैं ।” 33 सुल्ताना भी जब जामलब के घर आती है तो व्हस्की की बोतल साथ लाती है ममज ा भी आते ही सबसे पहले अपनी बोतल ही देखते हैं । “ अब उन पर नशा असर कर रहा था । उनके पीने की रफ्तार भी खासी तेज थी । दो-तीन के बाद वे सोडा भी नहीं ममला रही थी मसफा बफा के साथ पी रही थी ।” 34 संगीत मनदेशक मानस की भी नशीले पदाथों के उपभोग के कारि असमय मृत्यु होती है ।
मफ़ल्मी दुमनया में मानवीय मूल्यों की गु ंजाइश नाम मात्र के मलए भी नहीं है । अमभनेमत्रयों की हालत तो बहुत ही गयी गुजरी है । धन और प्रमतष्ठा प्राप्त करने के मलए उन्हें अपना सवास्व खोना पड़ता है । अमभनेमत्रयों की वास्तमवक मस्थमत का मचत्रि मपया , शकु न्तला , देवी , सुल्ताना आमद स्त्री पात्रों के माध्यम से मकया गया है । यह मफ़ल्मी दुमनया नलैमर की दुमनया है । मफ़ल्मी नामयका बनने के मलए मपया और शकु न्तला अपनी पूरी मजन्दगी स्वाहा कर देती है ‘ ऐड ’ वाले मपया को ऑफर पर ऑफर देकर मुम्बई लाए थे और ऑफर के बहाने ही उसे बदनाम मकया गया । ‘ ऐड ’ वालों ने काम तो मदया लेमकन शतों पर ... शतों के कारि ही मपया एक हाथ से दुसरे और दुसरे से तीसरे हाथ में चक्कर लगाती रही । वह मफ़ल्मी दुमनया में भी जाती है लेमकन मफ़ल्मी दुमनया ऐड वालों से ज्यादा शरीफ नहीं होती । वहाँ पर भी उसकी वही हालत होती है । “ हुआ यह यार मक जल्दी ही मफल्म वालों और ‘ ऐड ’ वालों को यह पता चल गया मक लड़की उनके ‘ रहमोकरम ’ पर पड़ी हुई है । मपया मक इज्जत उतनी भी नहीं रही मजतनी रंमडयों की होती है ।” 35 प्रमसद्ध मनदेशक धमावीर से शादी होने के बाद भी वह पमतव्रता नहीं रहती और धीरू से अलग रहने लग जाती है । पमत धीरू के मरने के बाद भी वह मनदेशक
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017