Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 280

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
“ पहर दोपहर : सफ़ल्मी दुसनया का यथाथक ”
स्िासत चौधरी शोधाथी , महंदी मवभाग
हैदराबाद मवश्वमवद्यालय , हैदराबाद , 500046 मो . 9461492924 , 9828985539
ईमेल- Swatichoudhary212 @ gmail . com
असग़र वजाहत सामामजक संचेतना से जुड़े हुए उपन्यासकार है । इन्होंने सामामजक जीवन का यथाथा मचत्रि अपने उपन्यासों में मकया है । प्रेमचंद की तरह इन्होंने भी अपने समय और समाज की मवसंगमतयों , मवडम्बनाओं और समाज के यथाथा स्वरूप को अपने उपन्यासों में अमभव्यक्त मकया है । वजाहत जी महंदी के उन मवरले लेखकों में मगने जाते हैं जो अपने पाठकों से तारतम्यता स्थामपत करके रचना को आगे बढ़ाते है । मजसके कारि पाठक और रचना के बीच जीवंत सम्बन्ध स्थामपत हो जाता है । ‘ पहर दोपहर ’ भी इसी ्टमसेकोि को ध्यान में रखकर मलखा गया उपन्यास है । यह उपन्यास 2012 में आकृ मत प्रकाशन शाहदरा , मदल्ली से प्रकामशत हुआ । यह आत्मकथात्मक शैली में मलखा गया अत्यंत महत्त्वपूिा उपन्यास है , मजसमें मफ़ल्मी दुमनया की अंदरूनी हकीकतों का पदााफास मकया गया है । रंगीन जगत् के प्रमत लोगों के मन में आकर्षाि स्वाभामवक है परन्तु इस सुन्दरता और आकर्षाि के पीछे मछपे सच को देखा जाये तो पटकथा की मजन्दगी यथाथा मजन्दगी से कोसों दूर है । मफल्म की दुमनया पैंतरेबाजी की दुमनयाँ है , शोर्षि की दुमनया है , नशे की दुमनया है , ममदरा और शोर्षि पर मटकी दुमनया है । मफर भी इस दुमनया के प्रमत जनता के मन में आकर्षाि है , मोह है ।
इन्हीं मफ़ल्मी जगत् की सच्चाइयों को इस उपन्यास में परत-दर-परत उघारने की कोमशश की गई है ।
‘ मैं शैली ’ में मलखे गए इस उपन्यास में लेखक स्वयं असग़र नाम से ही उपमस्थत रहता है और सम्पूिा उपन्यास लेखक के दोस्त जामलब के फ़्लैट में ही संचामलत होता है । मफ़ल्मों में पैसों की संभावना को देखकर ही लेखक मदल्ली को छोड़कर मु ंबई महानगरी की और रवाना होता है । हर आम इन्सान की तरह लेखक को भी अपनी टूटी-फू टी हालत में पैसे कमाने के मलए मफ़ल्मों की दुमनयाँ की बेहतरीन मजन्दगी आकमर्षात करती है । इसी आकर्षाि के फलस्वरूप ही वह अपने बचपन के दोस्त जामलब के घर मुबंई पहुँचता है । जामलब , असग़र का पुराना दोस्त है । जब जामलब और असग़र साथ पढ़ा करते थे । तब जामलब अपने खानदान वगैरा के बारे में बताया करता था । जामलब हैदराबाद के मनजाम के प्रमुख मंत्री हश्मतयारगंज के मबगड़ैल बेटे थे । जो ऐशो-आराम से मजन्दगी गुजारते थे । जब वह साँतवी- आठवीं कक्षा में पढ़ता था तब ही उसके पास आमस्टन गाड़ी और रखैल दोनों थी । “ रईसों के बेटों की तरह जामलब की आदतें बहुत मबगड़ी हुई थीं । जब वह आठवीं में पढ़ता था तब ही उसके पास ‘ आमस्टन ’ गाड़ी और रखैल थी । आवारा लोगों की तरह एक फौज उसके साथ रहती थी । चू ँमक सबसे बड़ा बेटा था और माँ उसे बेतहाशा चाहती थी इसीमलए मजतना मबगड़ना संभव हो सकता है उतना वह मबगड़ चुका था ” । 31 लेमकन यह अय्याशी ज्यादा मदन नहीं चली और जब जामलब सोलह साल का था तब ही हश्मतयारगंज का इंतकाल हो गया । उनके पररवार की हालत इतनी मबगड़ गई मक खाने तक के लाले पड़ गए तब उन्होंने मुम्बई का रूख मलया था । यह सम्पूिा
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017