Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 269

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
लोग कह्याँ ममरां बावरी , सासु कह्याँ कु लनासी री ।” ३ ररश्तेदार या समाज उसे कु लनासी भले ही कहे , मीरा अपने मवचारों में अटल रहती है । मीरा ने अपने अमस्तत्व को कु चलने नहीं मदया ।
युग की ओर ्टमसेपात करते हैं तो पाते हैं मक उस वक्त मीरा का युग राजनैमतक की अपेक्षा धाममाक ्टमसे से बरजोर था । तब मुगलों का शासन कें द्र मदल्ही था । अत : राजस्थान मुगलों की द्वेर्षपूिा बबारता से सुरमक्षत था । मीरा के जन्म समय ज्ञानयोग की धारा का पूिा प्रभाव था , जो उसके पदों में सहज ममलता है । मीरा ने अपने पदों में ‘ मीरा के प्रभु हरर अमवनाशी , देस्यु प्राि अकोरा ’ बार-बार कहा है । ‘ मैं मगरधर के घर जाऊ ।’, ‘ हरर थें हरया जि री भीर ।’ आमद पदों में भी मनगु ाि समपाि भाव व्यक्त मकया है । उसके युग में प्रेमानुबंध धारा भी बरजोर थी । लोग लौमकक भावनाओं के माध्यम से अलौमकक तत्व की प्रामप्त में लगे थे । ‘ हरर म्हारा जीवन प्राि अधार ।’, ‘ माई री म्हा मलयाँ गोमवंदानं मोल ।’ जैसे कई पद इस धारा से सम्बंमधत हैं । साथ-साथ भमक्तभाव की धारा भी मवद्यमान थी । अत : मीरा में ज्ञान-योग , प्रेमानुबंध तथा भमक्तभाव ; तीनों प्रकार की भमक्त का प्रभाव देखने ममलता है । कह सकते हैं मक मीरा ने तत्कालीन धाममाक मवचारधाराओं तथा भमक्तधाराओं का सममन्वत रूप स्वीकार मकया था । धाममाक संप्रदाय की जो बात उसे अच्छी लगी ; अपनाई । इस प्रकार अपने युग में प्रवतामान सभी सम्प्रदायों को , धाममाक समाज को मीरा ने अपने धाममाक-जीवन में अपनाया ।
उसकी सामामजक पृष्ठभूमम वन्दनीय , सराहनीय है , वतामान प्रासंमगक है ।
िन्द्दभक-िंके त :
१ . अरुि चतुवेदी ( सं .), मीरा एक मूल्यांकन , पृ . प्राक्कथन से
२ . वही , पृ . १११
३ . डॉ . कृ ष्ट्िदेव शमाा ( सं .), मीराबाई-पदावली , पृ . १२१
सहंदी सिभाग ,
नीमा गल्िक आिडकि कॉलेज , गोज़ाररया-३८२८२५
कु लममलाकर कह सकते हैं मक मीरा का सामंतवादी उन्मूलन सराहनीय है । उसने पदाा प्रथा , सती प्रथा , मवधवा की करुिता जैसी सामंती मयाादाओं का सशक्त मवरोध मकया । जीवन-व्यवहार में उसकी त्याग- भावना समाज के मलए प्रेरिा समान है । यों तो मीरा के
जीवन का महत्वपूिा अंग भमक्त और दशान है , मफर भी Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017