Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 21

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका मभड़ का कोई चेहरा नही होता । इसका कोई अपना नही होता ।। कसिता -2 सकिान ------------------ अपना पेट काट-काट कर , त म् ु हारा पेट भरता हूं । मफर भी एक -एक रोटी के मलये तड़पता हूँ । जब ममलते नही अमधकार मेरें सड़कों पर ननन नृत्य करता हूं । त म ु हँस रहें हो तो हँसते रहों मेरी बेबसी पर त म् ु हारी हर हँसी स्वीकार करता हूँ । अपना पेट काट-काट कर त म् ु हारा पेट भरता हूँ । तेज ध प ू , आ ध ं ी , त फ ानों म धरती का सीना चीर कर अनाज उत्पन्न क