Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 195

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
िोध िार
प्राथसमक स्तर की सिक्षा व्यिस्था के पररप्रेक्ष्य में एक अध्ययन
सदनेि कु मार शोध छात्र
पािात्य इमतहास मवभाग लखनऊ मवश्वमवद्यालय , लखनऊ
प्रस्िुि िोि पत्र में विमान प्राथशमक शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाि डाला र्गया है और उसके साथ ही प्राथशमक शिक्षा को कै से र्गुणवत्तापूणम बनाया जाए शजससे शक सरकारी स्कू लों में पढ़ने वाले बच्चों को उशचि शिक्षा उपलब्ि करा जा सके और देि का समुशचि शवकास शकया जा सके । शिक्षा के माध्यम से बालक का िोिन एवं मार्गांिीकरण शकय जािा है ।
कुं जी -िलद : - सवािंगीि , गुिवत्तापरक , शोधन , मागािंतीकरि , मक्रयान्वयन , संलनन , नवाचार , मशक्षाशास्त्री , रोजगारोन्मुखी , व्यावसायीकरि , भमवष्ट्योन्मुखी , अध्ययनशील , न्यायालय , इलाहाबाद , जनसंख्या आमद ।
पररचय : -
सिक्षा-सिमिक / Education Discourse
संभव है , जब प्राथममक स्तर पर ही बालक को उमचत मशक्षा दी जाए और सही मागादशान मकया जाय । प्राथममक मशक्षा छात्र के मागािंतीकरि में महत्वपूिा भूममका मनभाती है ।
भारतीय मशक्षा के संबंध में प्रत्येक व्यमक्त न के वल अपनी राय रखता है , बमल्क उसे व्यक्त करने के मलए भी तत्पर रहता है । मशक्षा व्यमक्त , पररवार तथा समाज को मकसी न मकसी रूप से अवश्य प्रभामवत करती है । मशक्षा उसकी मवर्षयवस्तु तथा मवधा समय के साथ गमतमान रहते हुए ही अपनी साथाकता मसद्ध कर सकती है । इसके मलए व्यवस्था तथा मक्रयान्वयन में संलनन सभी व्यमक्तयों को सजग तथा सीखने के मलए प्रमतबद्ध होना आवाश्यक होगा । उनकी नवाचार में रूमच तथा उसे कर सकने की स्वायत्तता ममलनी ही चामहए । 2 स्वतंत्र भारत में मशक्षा का जो मवस्तार हुआ है उसे अभी मीलों नहीं बमल्क कोसों लम्बा रास्ता तय करना है । सरकारी प्राथममक मशक्षा ने कई उपलमब्धयां भी हाँमसल की हैं क्योंमक हमारी मशक्षा की नींव यहीं पर मजबूत की जाती है , जो जीवन पयिंत मानव जीवन एवं समाज को साथाक बनाती है । अगर मशक्षा व्यवस्था में ही उसके मूल्यों के ह्रास का घुन लग जाए , तब उसका समाधान ढूढ़ना अत्यंत कमठन हो जाता है । प्रत्येक व्यमक्त प्राथममक मशक्षा व्यवस्था से पररमचत है । वतामान में यह मशक्षा दो महस्सों में बँट गई है जो आगे आने वाली पीमढ़यों को भी मवभक्त कर रही है । इसका सबसे बड़ा मूलरूप से कारि है नीमत मनधाारकों का स्वाथा ।
मकसी भी देश का सवािंगीि मवकास वहां की
मशक्षा व्यवस्था पर मनभार करता है क्योंमक मशक्षा ही
मनुष्ट्य की प्रगमत का आधार है । औपचाररक मशक्षा
व्यवस्था के प्रथम स्तर को प्राथममक मशक्षा स्तर कहा
जाता है । यह मशक्षा 6 वर्षा की आयु से 14 वर्षा की
आयु तक चलती है । 1 यह प्रगमत पूिा रूप से तभी
आज लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत में
प्राथममक एवं जूमनयर स्कू लों की व्यवस्था की गई है
जहां पर हजारों ग्रामीि अँचल के बच्चे अध्ययन के
मलए जाते हैं । सरकारी प्राथममक मवद्यालयों की अगर
बात की जाय तो इन स्कू लों में सबसे योनय अध्यापक
रखे जाते हैं । वह भी बी . एड एवं बी . टी . सी प्रमशमक्षत
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 .
वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017