Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 154

मसहलाओंकी िुन्द्नत : एक कु प्रथा
Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725

मसहलाओंकी िुन्द्नत : एक कु प्रथा

ममहलाओं की सुन्नत ( ख़तना ) का उदय कब हुआ इस सम्बन्ध में मतभेद है , मवद्वानों का मानना है मक इसकी शुरुआत उत्तर-पमिम अफ्रीका में ईसाई और इस्लाम धमा के आने से पहले हुआ ( अस्साद 1980 ). पैगम्बर मोहम्मद साहब के समय भी ममहलाओं की सुन्नत का मज़क्र ममलता है . सहीह मुमस्लम मकताब 41 हदीस 5251 में कहा है मक “ मदीना में एक औरत एक बच्ची का ख़तना कर रही थी रसूल वहां गए और उस औरत से कहा मक इस बच्ची की योनी को इतनी गहराई से मत मछलना मजससे योनी कु रूप हो जाये और इस बच्ची के पमत को पसंद ना आये ”( अहमद 2000 ). दुमनया भर में ममहलाओं का ख़तना सांस्कृ मतक ररवायत का महस्सा है . ममहला सुन्नत कई धाममाक समूहों मुमस्लम , ईसाई , और यहूदी के बीच पाया जाता है . हालाँमक मकसी भी धमा में ममहलाओंके ख़तने या सुन्नत का आदेश नहीं है . यह प्रथा उत्तरी अफ्रीका , मध्य पूवा और एमशया देशों में आज भी प्रचमलत है .
तथा सेक्स के दौरान उन्हें आनंद की अनुभूमत देती है . मक्लटोररया को काटना औरतों की यौन इच्छा और कामोत्तेजना की क्षमता को कम या समाप्त कर देता है , यह एक तरह से औरतों की अमनयंमत्रत कामुकता को मनयंमत्रत करने का एक तरीका है . ममहलाओं का ख़तना इसमलए मकया जाता है तामक वह शादी से पहले मकसी से यौन सम्बन्ध स्थामपत करने की इच्छा न रखें तथा पमत के अलावा मकसी और से सम्बन्ध न बना सकें . यह उनके मानवामधकार का हनन है तथा ममहलाओंके साथ एक तरह की सामजश भी मक जहाँ पुरुर्षों का ख़तना उनकी यौन शमक्त को बढ़ने के मलए मकया जाता है , वही ममहलाओंका ख़तना उनकी यौन शमक्त को कम करने के मलए . मुख्यतः सुडान , सोमामलया और माली ( जहाँ मक्लटोररया को काट कर मसल मदया जाता है ) में ममहलाओं के शरीर पर मनयंत्रि का बहुत ही नाटकीय रूप देखने को ममलता है . यहाँ पर ममहलाओं को वधु मूल्य देकर ख़रीदा जाता है . शादी की पहली रात औरत का सील तथा प्रसव या बच्चे के जन्म के समय घाव को खुला होना चामहए जोमक ख़तने के समय बंद मकया जाता है . बच्चे के दुनधपान के दौरान सम्भोग प्रमतबंमधत होता है तो ऐसा भी हो सकता है मक योनी के घाव को मफर से बंद कर मदया जाय और मफर पमत की इच्छा के अनुसार दुबारा खोल मदया जाय ( फी , 1980 ).
ममहलाओं की सुन्नत मपतृसत्तात्मक शमक्त , सांस्कृ मतक मपछड़ापन , सावाभौममक मानवामधकार के प्रमत महंसा को प्रदमशात करती है . सुधा अरोड़ा ( 2009 ) के मुतामबक “ मजन समुदायों में यह प्रथा प्रचमलत है , उनमें अक्सर पुरुर्ष उन लड़मकयों से शादी
सुन्नत के ज़ररये ममहलाओं को अंग-भंग का करने से इनकार कर देता हैं मजनका सुन्नत नहीं
मशकार बनाने की यह अमानवीय प्रथा मवश्व के करवाया गया होता . ऐसी मस्थमत में औरतों के सामने
लगभग चालीस देशों में प्रचमलत है मजनमें से प्रमुख सुन्नत कराने पर राजी होने के अलावा कोई मवकल्प
हैं – नाइजीररया , इमथयोमपया , सूडान , और के न्या . नहीं होता ”. सुन्नत औरतों की स्वछंदता को मनयंमत्रत
संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या कोर्ष की रपट के मुतामबक मवश्व करने तथा ममहलाओं को उनके वैवामहक जीवन में
भर में हर साल लगभग बीस लाख लड़मकयां सुन्नत वफ़ादार बनाने का पहला चरि है . ममहलाओं के
के नाम पर की गई बबारता की पीड़ा झेल रहीं हैं . यह जननांग में मक्लटोररया हुड होती है और इस
बबार प्रथा अफ्रीका के पमिमी तट के देशों , अरब मक्लटोररया हुड को छेड़ने अथवा दबाने से ममहलाओं
प्रायद्वीप के दमक्षि भागों , फारस की खाड़ी के आस- में यौन इच्छा तथा सेक्स के प्रमत उत्तेजना बढ़ जाती है
पास तथा अन्य यूरोपीय एवं उत्तर अमेररका के देशों Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017