Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 146

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका ज्योमतरीश्वर ठाकुर ने विारत्नाकर में नामयका सौन्दया का जो कोमल, भावप ि ू ा और नयनामभराम मचत्र खींचा है ; इतनी अमधक संख्या में वण्यामवर्षय क मलए उपमेय-उपमान का प्रयोग मकया है ; वे शायद संप ि ू ा संस्कृ त सामहत्य के लक्षि-ग्रन्थों में नही ममल सकते। ज्योमतरीश्वर ठाकुर के सामहत्य में स्त्री मजस रुप में मचमत्रत हुई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है मक उस य ग ु के मैमथल समाज में स्त्री के आ त ं ररक सौन्दया क मवपरीत शारीररक सौन्दया को प्राधान्य माना जाता था। लेखक ने मजस तन्मयता और भाव-मवभोरता के साथ नामयका का नख-मशख विान, मवशेर्षकर उसके यौन अ ग ं -उपांग का मजस भाव-प्रविता के साथ उपमा- उपमान मदया है, वह मैमथल मपतृसत्तात्मक समाज क प रु ु र्ष ्टमसेकोि में मनममात स्त्री के वस्तु प्रधान स्वरुप को पररभामर्षत करता है मक एक स्त्री का स्वरुप कै सा होना चामहए? रुप-िौन्द्दयक का िणकन प्रस्त त ु प म ं क्तयों में लेखक ने नामयका के रुप-सौन्दया का विान मकया है। यहाँ मैमथल स्त्री के कामोत्तेजक रुप का अश्लील मचत्रि हुआ है। “[अथ नासयका] िण्णकना-----िुरक्त िा” [पृ.िं.22, पंसक्त िं 5-15] नामयका का चरि उज्जवल आमद पंच ग ि ु ों से य क्त है। उसका मनतम्ब प से ु , मांसल और कछुआ के पीठ स्टश है। उसके दोनों जांघ मचकने , कोमल, हाथी क स ँढ ू समान हैं। उसकी नामभ गहरी है। उसकी कमट पतली, कोमल, गोल-इन्ही तीन ग ि ु ों से य क्त मात्र म ि ु ी भर है। उसकी रोम-लता काली, मसृि कोमल... छः ग ि ु ों से य क्त है। उसके दोनों स्तन अत्यन्त ही मनकट- मनकट, प से ु , कठोर, उँचे और गोल हैं। उसके बाह मवशाल, गोल और कमल-नाल स्टश हैं। उसके हाथ कोमल, रक्ताभ, मनमाल , लाल अशोक के पल्लव जैस हैं। उसकी ग्रीवा त र ू जैसी कोमल और त