Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 142

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725 स ज ं ीव ने मैना के माध्यम से समाज की स्त्री वगा को प्रमतकूल व्यवस्था को पररवमतात करने की प्रबल प्रेरिा देने का अम ल् ू य काया मकया है। मैना एक साधारि अनपढ़ आमदवासी स्त्री है, जो अपनी सोच और मवचारों से प रु ु र्षवादी समाज व्यवस्था से संघर्षा कर असामान्य बन जाती है। आमदवासी मचंतन की ्टमसे से संजीव का ‘धार’ उपन्यास का अध्ययन करने पर हमारे सामन के न्द्रीय रूप में आमदवामसयों का पीमड़त व शोमर्षत रूप अ म ं कत होता है। वतामान समय में यमद देखा जाए तो आमदवासी समाज वह समाज है जो सबसे अमधक व म ं चत, उपेमक्षत तथा अभावग्रस्त जीवन जी रहा है। उसमें चेतना तो आयी है, वह अपने अमधकारों के मलए संघर्षा तथा मवद्रोह भी कर रहा है, मकन्तु उसमें अमधक सफल नहीं हो पाया है, क्योंमक समाज के अन्य लोगों ने उन्हें मसफा और मसफा शोर्षि का मशकार बना रखा है। िंदभक : - 1.आमदवासी सामहत्य मवमवध आयाम – स प ं ा. डॉ. रमेश सम्भाजी कुरे – पृ० 210 2.आमसवासी सामहत्य यात्रा – स म ं ा. रममिका ग प्त ु ा - पृ० 5 3.स ज ं ीव, धार, राधा कृ ष्ट्ि प्रकाशन, नई मदल्ली, 1997 पृ० 130 4.स ज ं ीव, धार, राधा कृ ष्ट्ि प्रकाशन, नई मदल्ली, पृ० 165 5.स ज ं ीव, धार, राधा कृ ष्ट्ि प्रकाशन, नई मदल्ली, पृ० 133 6.संजीव, धार, राधा कृ ष्ट्ि प्रकाशन, नई मदल्ली, पृ० Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017