Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 117

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
वर्षा 1991 में आई , शत्रुघ्न मसन्हा , रघुवीर यादव , मनोहर मसंह आमद चमचात कलाकारों के अमभनय से सजी , ‘ कस्बा ’ मफल्म में भीष्ट्म साहनी ने एक छोटी सी भूममका मनभाई । “ ममस्टर एंड ममसेज अय्यर ( 2002 ) भीष्ट्म साहनी द्वारा अमभनीत अमत मवमशसे मफल्मों में से एक है । यह मफल्म साम्प्रदामयकता पर चोट करने के साथ धाममाक उन्माद , कट्टरपन और रुमढ़वामदता पर भी अच्छा प्रहार करती है ।” 11 मफल्म की मुख्य ममहला पात्र एक बस यात्रा में
अनजाने में मुमस्लम युवक के हाथ का पानी पीकर अपराधबोध हो जाती है । रास्ते में महंदू-मुमस्लम दंगे की वजह से महंदू दंगाई बस में आते हैं और हर यात्री से उसका धमा पूछते हैं । वह िाम्हि युवती उस मुमस्लम युवक को अपना पमत ममस्टर अय्यर बताकर उसकी जान बचाती है । घटनाक्रम में उस युवती को मुमस्लम युवक के साथ एक ही होटल में रुकना पड़ता है जहां वे एक-दूसरे के ‘ धमा ’ को समझते हैं । रात को अचानक दंगाईयों द्वारा हत्या-बवाल मचाने पर वह युवक उस युवती को ढांढ़स बंधाता है । मफल्म में भीष्ट्मजी ने एक वररष्ठ मुमस्लम व्यमक्त की भूममका अदा की है जो बस में अपनी वृद्ध पत्नी के साथ दंगाईयों का मशकार हो जाता है । मफल्म के अंत में वह युवती अपने पमत से उस युवक को ममलवाती है और अपने पमत से गैरमहंदू युवक के नेकमदली की खूब तारीफ करती है ।
सनष्ट्कषक-
भीष्ट्म साहनी ने मात्र चार-पांच मफल्मों में ही काम मकया लेमकन इन मफल्मों में उन्होंने बहुत ही यादगार भूममकाएं मनभाई। ं प्रगमतशील मवचारों वाले भीष्ट्मजी ‘ इप्टा ’ से जुड़े और उन्होंने नाटकों में भी अमभनय मकया । उनके कायों में उनकी मवचारधारा स्पसे रुप से झलकती है । मफल्मों में कभी ‘ हरनाम मसंह ’ तो कभी ‘ मोहन जोशी ’ के रुप में उन्होंने ने आम आदमी का
प्रमतमनमधत्व बड़ी ही मजम्मेदारी के साथ मकया । तुलनात्मक रुप से देखें तो भीष्ट्मजी ने महंदी सामहत्य में मजतना योगदान मदया है उसके सामने मफल्मों में इनका काम नाम मात्र का है , लेमकन ‘ तमस ’ मफल्म जो इनके ही उपन्यास पर आधाररत है , में ‘ हरनाम मसंह ’ की जो भूममका उन्होंने मनभाई है वह इन्हें महंदी मसनेमा में अमर कर देती है । उदारता , भाईचारा , बहादुरी , संघर्षा और त्याग जैसे मानवीय गुिों के जो उदाहरि इनके सामहत्य में ममलते हैं वही तत्व इनकी मफल्मों में हैं जो इन्हें मानवता का पक्षधर सामबत करते हैं ।
िंदभक िूची-
1- मसंह , रमेश कु मार ( 2016 जनवरी-माचा ). भीष्ट्म साहनीः एक महान लेखक और कु शल अमभनेता . इन्द्रप्रस्थ भारती , पृ . 65 2- वही , पृ . 66 3- यात्री से . रा ( अगस्त 2015 ). भीष्ट्म साहनी बनाम एक पारदशी व्यमक्त का आख्यान . आजकल , पृ . 18
4- मसंह , रमेश कु मार ( 2016 जनवरी- माचा ). भीष्ट्म साहनीः एक महान लेखक और कु शल अमभनेता . इन्द्रप्रस्थ भारती , पृ . 68 5- वही 6- वही , पृ . 69 7- वही , पृ . 71 8- दुबे शशांक ( अगस्त 2015 ). भीष्ट्म साहनी
और महंदी मसनेमा . आजकल , पृ . 30
9- मसंह , रमेश कु मार ( 2016 जनवरी- माचा ). भीष्ट्म साहनीः एक महान लेखक और कु शल अमभनेता . इन्द्रप्रस्थ भारती , पृ . 72 10- वही 11- दुबे शशांक ( अगस्त 2015 ). भीष्ट्म साहनी
और महंदी मसनेमा . आजकल , पृ . Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017