Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 116

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
मारा है इस पूरी घटना के मलए खुद को दोर्षी मानता है और अपनी गभावती पत्नी को पूरा वाक्या बताता है । दूसरी तरफ एक समय ऐसा आता है मक देश मवभाजन की बात कांग्रेस और मुमस्लम लीग की बैठक में कांग्रेस के एक सदस्य जरनैल मसंह को सुनाई देती है । वह अपना आपा खो बैठता है और भरी भीड़ में अंग्रेजो के मखलाफ आवाज उठाकर मवभाजन का मवरोध करता है । इसी बीच कोई पीछे से उस पर प्रािघातक वार करता है । नत्थू यह ्टश्य देखकर दौड़ता हुआ घर पहुंचता है । पूरे इलाके में दंगे की आशंका से वह अपनी गभावती पत्नी और बूढ़ी मां को साथ लेकर घर छोड़ देता है ।
‘ तमस ’ में आधी मफल्म के बाद भीष्ट्म की भूममका बूढ़े मसख ‘ हरनाम मसंह ’ के रुप में सामने आती है । जो अपनी पत्नी बंतो ( दीना पाठक ) के साथ एक मुमस्लम आबादी वाले गांव में रहता है । जब पूरे इलाके में दंगा शुरु हो जाता तब उसकी पत्नी कहती है मक चलो यहां से कहीं और चलें तो वह अपने एक मुमस्लम साथी करीम खान के आश्वासन पर भरोसा जताते हुए गांव में ही रुक जाता है । जब मुमस्लम साथी खतरे का संके त देता है तब वह अपनी पत्नी के साथ गांव छोड़ देता है । अपना गांव छोड़कर वह दूर के एक गांव में पहुंचकर एक घर में पनाह मांगता है । वह घर भी मकसी मुसलमान का ही होता है मजसमें से एक ममहला मनकलती है । हरनाम और बंतो की बेचारगी पर तरस खाकर , इस बात के मलए सचेत करते हुए वह उन्हें अपने घर में मछपा लेती है मक उसका पमत और बेटा दूसरे धमा के आदमी को स्वीकार नहीं करेंगे । दरअसल उसका पमत एहसान अली और बेटा भी दंगे की रौ में बह चुके हैं और दूसरे धमा के लोगों के घरों में हत्या और लूट-पाट करके वह घर लौटते है । एहसान अली अपने बेटे से कु छ समय पहले ही घर पहुंच जाता है । इत्तेफाक से वह मजस घर से सामान लूटकर लाया होता है वह हरनाम का होता
है । जब उसके घर से लूटा हुआ रंक वह अपने घर के आंगन में रखता है तो उसकी बहू उस रंक में लगे ताले को तोड़ने लगती है । एहसान की आवाज सुनकर हरनाम बाहर मनकलता है और अपने जान-पहचान का आदमी जानकर आवाज देता है । रंक को अपना बताते हुए वह चाभी उसकी बहू की ओर फे कता है । एहसानी अली पर हरनाम के पैसे रहते हैं । पुराने ररश्ते की दुहाई देकर एहसान हरनाम को शरि देता है लेमकन अपने बेटे के कट्टर स्वभाव का मजक्र करना नहीं भूलता । कु छ ही देर बाद उसका बेटा आता है और अपनी पत्नी द्वारा खबर पाकर वह हरनाम को जान से मारने दौड़ता है । घटनाक्रम में हरनाम बच जाता है और पत्नी बंतो के साथ उसका घर छोड़कर नये मठकाने की तलाश में मनकल पड़ता है । रास्ते में उसकी मुलाकात नत्थू से होती है । दंगे से पीमड़त वे सभी जान बचाने की गरज से एक गुरुद्वारे में शरि लेते हैं । गुरुद्वारे में मसखों का जमावड़ा रहता है । पास के ही मुमस्लम बहुल इलाके से इन मसखों को खतरा रहता है । वे हमथयारों के साथ तैयारी में जुटे रहते हैं । मुमस्लमों से सुलह की कोमशश में एक मसख युवक और उसके साथ नत्थू भी मारा जाता है । बाद में अंग्रेजी हुकू मत दंगा पीमड़तों के मलए कै म्प लगाती है । अंग्रेज सरकार कांग्रेस , मुमस्लम लीग आमद मसयासी दलों के साथ अमन दल बनाती है । इस दल के मलए आई गाड़ी में दंगे का मुख्य गुनहगार वह ठेके दार सबसे पहले नारा लगाते और नेतृत्व करते मदखाई देता है । जो यह स्पसे संके त देता है मक दंगे में अंग्रेज सरकार का हाथ है । मफल्म का अंत नत्थू की बीवी द्वारा अपने पमत की लाश पहचान लेने के बाद मुछाा आने , मफर कै म्प में ही उसके बच्चा पैदा होने और तमाम दुखों के बावजूद वृद्ध हरनाम और उसकी पत्नी के चेहरे पर प्रसन्नता के ्टश्य के साथ होता है ।
भीष्ट्म िाहनी की अन्द्य सर्ल्में-
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017