Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
िोध प्रसिसध-
प्रस्त त ु शोध-पत्र में शोध प्रमवमध के रुप में अन्तवास्त
मवश्ले र्षि पद्धमत का उपयोग करते हुए भीष्ट्म साहनी
के रंगम च ं ीय और मसनेमाई यात्रा का संमक्षप्त अध्ययन
एवं मवश्ले र्षि मकया गया है।
भीष्ट्म िाहनी का िुरुआती जीिन एिं नािकों
की ओर झुकाि-
वर्षा 1915 में तत्कालीन भारत और वतामान
में पामकस्तान के रावलमपंडी में जन्में भीष्ट्म जी को
अमभनय की आदत बचपन से ही थी। “ध र ु
बाल्यकाल में वे घर के ज ग ं ले पर बैठकर भोर के उस
जागरि-द त ू की नकल करते थे , जो गली-म ह ु ल्लों म
रोजा रखनेवालों को जगाता मफरता था।” 1 बलराज
साहनी जैसे म झ ं े हुए कलाकार का छोटा भाई होने का
असर भीष्ट्म के व्यमक