Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 114

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका िोध प्रसिसध- प्रस्त त ु शोध-पत्र में शोध प्रमवमध के रुप में अन्तवास्त मवश्ले र्षि पद्धमत का उपयोग करते हुए भीष्ट्म साहनी के रंगम च ं ीय और मसनेमाई यात्रा का संमक्षप्त अध्ययन एवं मवश्ले र्षि मकया गया है। भीष्ट्म िाहनी का िुरुआती जीिन एिं नािकों की ओर झुकाि- वर्षा 1915 में तत्कालीन भारत और वतामान में पामकस्तान के रावलमपंडी में जन्में भीष्ट्म जी को अमभनय की आदत बचपन से ही थी। “ध र ु बाल्यकाल में वे घर के ज ग ं ले पर बैठकर भोर के उस जागरि-द त ू की नकल करते थे , जो गली-म ह ु ल्लों म रोजा रखनेवालों को जगाता मफरता था।” 1 बलराज साहनी जैसे म झ ं े हुए कलाकार का छोटा भाई होने का असर भीष्ट्म के व्यमक