Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 107

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
दादी अमीना – कै पैसे में ? हाममद – तीन पैसे में ।
अमीना ( छाती पीट लेती है । और मन ही मन ) – कै सा बेसमझ लड़का है । मक दो पहर हुआ । कु छ खाया न मपया । लाया क्या ? यह मचमटा !
हाममद ( अपराधी भाव से बोलता है ।) – तुम्हारी अंगुमलयाँ तवे से जल जाती थी । इसमलए मैंने इसे ले मलया ।
बूढी दादी अमीना का क्रोध तुरंत गुस्से से स्नेह में बदल जाता है । यह स्नेह मूक स्नहे है । मजसमें खूब ठोस , रस और स्वाद भरा हुआ है ।
( िारा प्रकाश हासमद और अमीना पर आकर ठहर जाता है ।)
तभी एक मवमचत्र बात होती है । जहां हाममद बूढ़े हाममद का पात्र बन जाता है । और बुमढ़या अमीना बामलका अमीना । वह रो रही है । और दामन फै लाकर दुआएं देती जाती है । सारा गाँव हाममद को दुआएं दे रहा है ।
( पदाष सगरता है ।)
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017