Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
क्लब घर की ओर देखकर हाममद सोचता है। – यहा
जादू होता है। स न ु ा था। म द ु े की खोपमड़यां दौडती है।
शाम को तमाशे होते हैं। दाढ़ी म छ ु ों वाले साहब लोग
खेलते हैं।
ISSN: 2454-2725
मोहमसन (जवाब देता है।) – एक-एक आसमान क
बराबर होता है। जमीन पर खड़ा हो जाए। तो सर
आसमान से जा लगे मगर चाहें तो एक लोटे में घ स ु
जाए । ं
(बच्चे बैट की द क
ान पर तरह-तरह की बातें करते हैं। )
हमारी अम्मां को वह दे दो क्या नाम है ? बैट ?
महम द ू – हमारी अम्मां का तो हाथ का प ं ने लग
,अल्लाह कसम!
मोहमसन – हमारी अम्मी तो मनो आटा पीस डालती
है। जरा सा बैट पकड़ ले तो हाथ कांपने लगे।
महम द ू – लेमकन दौडती तो नहीं ,उछल-कुद तो नहीं
सकती।
मोहमसन (फटाक से बोलता है। हाँ उछल कुद नहीं
सकती। लेमकन उस मदन गाय ख ल
गई। और चौधरी
के खेत में जा पड़ी। तो अम्मां इतनी तेज दौड़ी। की म
उन्हें न पा सका ,सच!
(आगे चलकर ममठाइयों से सजी द क
ानों पर बच्च
आपस में बातें कर रहे है। )
स न ु ा है। रात को मजन्नात आकर खरीद ले जाता है।
और सचम च ु के रूपये दे जाता है। मबलकुल असली।
हाममद यकीन न करने के अ द ं ाज में कहता है। – ऐस
रूपये मजन्नात को कहाँ से ममल जायेंगे ?
मोहमसन – मजन्न को रूपये की क्या कमी? चाहे मजस
खजाने में चला जाए। लोहे के दरवाजे तक नहीं रोक
पाते जनाब को।
हाममद – लोग उन्हें कै से ख श
करते होंगे। कोई म झ ु
वह म त ं र बता दे ,तो एक मजन्न को ख श
कर ल ँ। ू
मोहमसन – अब यह तो मैं नहीं जानता ,लेमकन चौधरी
साहब के काबू में बहुत से मजन्न है। जो सारे जहान की
खबरें आकर दे जाते हैं।
हाममद (सोचते हुए।) – अब समझ में आया चौधरी क
पास इतना धन क्यों है।
(तभी आगे प म ु लस लाइन मदखाई देती है। )
मोहमसन (प्रमतवाद करता है।) – यह कामनसटीबल
पहरा देते हैं ?
(मफर आप ही बोलता है। )
अजी यही चोरी करवाते है। और द स ू रे महोल्ले म
बोलते है। जागते रहो।
हाममद (प छ
ता है।) – यह लोग चोरी करवाते तो कोई
इन्हें पकड़ता क्य ँ ू नहीं?
मोहमसन (हाममद की नादानी पर दया मदखाते हुए।) -
अरे पागल ,इन्हें कौन पकड़ेगा? पकड़ने वाले तो य
ख द ु हैं। हराम का माल हराम में जाता है। अल्लाह इन्ह
सजा भी ख ब ू देते हैं।
(ईदगाह स्थल)
हाममद मफर प छ
ता है – मजन्नात तो बहुत बड़े बड़े होत
होंगे ?
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017