Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 104

Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका क्लब घर की ओर देखकर हाममद सोचता है। – यहा जादू होता है। स न ु ा था। म द ु े की खोपमड़यां दौडती है। शाम को तमाशे होते हैं। दाढ़ी म छ ु ों वाले साहब लोग खेलते हैं। ISSN: 2454-2725 मोहमसन (जवाब देता है।) – एक-एक आसमान क बराबर होता है। जमीन पर खड़ा हो जाए। तो सर आसमान से जा लगे मगर चाहें तो एक लोटे में घ स ु जाए । ं (बच्चे बैट की द क ान पर तरह-तरह की बातें करते हैं। ) हमारी अम्मां को वह दे दो क्या नाम है ? बैट ? महम द ू – हमारी अम्मां का तो हाथ का प ं ने लग ,अल्लाह कसम! मोहमसन – हमारी अम्मी तो मनो आटा पीस डालती है। जरा सा बैट पकड़ ले तो हाथ कांपने लगे। महम द ू – लेमकन दौडती तो नहीं ,उछल-कुद तो नहीं सकती। मोहमसन (फटाक से बोलता है। हाँ उछल कुद नहीं सकती। लेमकन उस मदन गाय ख ल गई। और चौधरी के खेत में जा पड़ी। तो अम्मां इतनी तेज दौड़ी। की म उन्हें न पा सका ,सच! (आगे चलकर ममठाइयों से सजी द क ानों पर बच्च आपस में बातें कर रहे है। ) स न ु ा है। रात को मजन्नात आकर खरीद ले जाता है। और सचम च ु के रूपये दे जाता है। मबलकुल असली। हाममद यकीन न करने के अ द ं ाज में कहता है। – ऐस रूपये मजन्नात को कहाँ से ममल जायेंगे ? मोहमसन – मजन्न को रूपये की क्या कमी? चाहे मजस खजाने में चला जाए। लोहे के दरवाजे तक नहीं रोक पाते जनाब को। हाममद – लोग उन्हें कै से ख श करते होंगे। कोई म झ ु वह म त ं र बता दे ,तो एक मजन्न को ख श कर ल ँ। ू मोहमसन – अब यह तो मैं नहीं जानता ,लेमकन चौधरी साहब के काबू में बहुत से मजन्न है। जो सारे जहान की खबरें आकर दे जाते हैं। हाममद (सोचते हुए।) – अब समझ में आया चौधरी क पास इतना धन क्यों है। (तभी आगे प म ु लस लाइन मदखाई देती है। ) मोहमसन (प्रमतवाद करता है।) – यह कामनसटीबल पहरा देते हैं ? (मफर आप ही बोलता है। ) अजी यही चोरी करवाते है। और द स ू रे महोल्ले म बोलते है। जागते रहो। हाममद (प छ ता है।) – यह लोग चोरी करवाते तो कोई इन्हें पकड़ता क्य ँ ू नहीं? मोहमसन (हाममद की नादानी पर दया मदखाते हुए।) - अरे पागल ,इन्हें कौन पकड़ेगा? पकड़ने वाले तो य ख द ु हैं। हराम का माल हराम में जाता है। अल्लाह इन्ह सजा भी ख ब ू देते हैं। (ईदगाह स्थल) हाममद मफर प छ ता है – मजन्नात तो बहुत बड़े बड़े होत होंगे ? Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017