Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 102

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का नाट्य रूपांतरण
तेजि पूसनया स्नातकोत्तर पूवााद्धा
महंदी मवभाग राजस्थान कें द्रीय मवश्वमवद्यालय
संपका + 919166373652 tejaspoonia @ gmail . com
अमीना – उम्र 50-55 साल ( पुराना घाघरा और मसर पर पुरानी सा मचथड़ा { कपड़ा }) हाममद – उम्र 5 साल ( छोटी सी मनकर और शटा मजसका बटन टुटा हुआ ) गाँव के चार-छह बच्चे ऊँ चे घराने से गाँव का चौधरी और अन्य लोग मेले में दुकानदार मचमटे वाला , ममठाई और मखलौने वाले
( गाँव का ्टश्य )
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आई है । सब कु छ मनोहर मदखाई दे रहा है । वृक्षों की हररयाली , खेतों की रौनक , आसमान की लामलमा सूरज भी शीतल मदखाई दे रहा है । मानों ये सभी संसार को ईद की बधाईयाँ दे रहे हों । मेले में जाने की तैयाररयां हो रही है । कोई बटन लगा रहा है । तो जूते चमका रहा है । बैलों को जल्दी ही सानी -पानी मदया जा रहा है ।
तीन कोस पैदल का रास्ता , मफर सैकड़ों से भेंट , इन सबमें सबसे अमधक प्रसन्न हैं । लड़के सभी के चेहरे पर ईदगाह जाने की रौनके मदखाई दे रही है । मकसी ने एक रोज़ा रखा है तो मकसी ने दोपहर तक का । ऱोज ईद का नाम लेते हैं । आज वह आ गई है । तो जल्दी है ईदगाह जाने की ।
चौधरी कायमअली के घर अब्बाजान बदहवास दौड़े जा रहे हैं ।
महमूद – ( पैसे मगनते हुए ) एक-दो-दस-बारह ।
मोहमसन भी पैसे मगनता है । – एक-दो-आठ-नौ-पन्द्रह पैसे है । मोहमसन के पास
( बच्चे मन में प्रसन्न हैं । और सोच रहें हैं ।)
इन अनमगनत पैसों से अनमगनत चीजें लायेंगे - मखलौने , ममठाइयां , गेन्द और क्या-क्या बच्चों में सबसे ज्यादा खुश हाममद है । चार-पाँच साल का ग़रीब सूरत दुबला-पतला । बाप गत वर्षा हैजे की भेंट चढ़ चुका है । और मां भी एक मदन न रही । न जाने क्या मबमारी रही होगी । मदल का मदल में सहती रही । और जब न सहा गया तो मवदा हो गई ।
( प्रकाश हाममद और अमीना पर पड़ता है । जहां हाममद अपनी दादी के गोद में सोता है । दुमनयादारी से बेख़बर )
सूत्रधार – हाममद प्रसन्न है । इसमलए की अब्बाजान रूपये कमाने गए हैं । बहुत सी थैमलयाँ लायेंगे । और अम्मी अल्लाह के घर से अच्छी-अच्छी चीजें । आशा ही तो बड़ी चीज है । और मफर बच्चों की आशा ।
( प्रकाश हाममद पर पड़ता है ।)
हाममद के पाँव में जूते नहीं है । , सर पर पुरानी टोपी है । मजसका गोटा काला पड़ चुका है । मफर भी प्रसन्न है । जब अब्बाजान और अम्मी मनयामतें लेकर आयेंगी तो वह मदल के सारे अरमान मनकालेगा ।
( प्रकाश अमीना की कोठरी पर पड़ता है ।)
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017